मोदीनगर। कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के बाद अब स्कूल खोले जाने का निर्णय लिया गया है। स्वतंत्रता दिवस के बाद काॅलिज खोले जाएंगे। प्रदेश सरकार की ओर से इसके संबंध में आदेश जारी किया गया है। प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण की सुधरती स्थिति को देखते हुए बेसिक, माध्यमिक, उच्च, प्राविधिक और व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों को खोलने का फैसला किया है। अभी कक्षा एक से लेकर आठ तक के बच्चों को स्कूल नहीं बुलाया जाएगा। इनकी ऑनलाइन क्लास ही चलेंगी। माध्यमिक शिक्षा में कक्षा नौ से 12 तक के बच्चों को 50-50 प्रतिशत के अनुपात में स्कूल बुलाया जाएगा। सरकार के इस फैसले पर स्कूल प्रशासन और अभिभावकों की प्रतिक्रिया अलग-अलग रहीं। वही मोदी साइंस एण्ड काॅमर्स इंटर काॅलिज के प्रधानाचार्य एससी अग्रवाल कहते है कि अभिभावकों का कहना है कि स्कूल खोलने का निर्णय लेने में जल्दबाजी की जा रही है।
अभी कोरोना पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और तीसरी लहर का खतरा बरकरार है। वहीं, देश भर में संक्रमितों की संख्या बढ़ने लगी है। स्कूल खोलने से पहले बच्चों को वैक्सीन लगानी चाहिए। सरकार का अच्छा फैसला है। अब स्कूल खुलने चाहिए। ऑनलाइन क्लास से पढ़ाई नहीं हो पा रही। 50 फीसद उपस्थिति के साथ स्कूल पहले की तरह खोलेंगे। कहा कि पढ़ाई के नुकसान को लेकर बच्चें मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। स्कूलों में बच्चें आएंगे तो एक माहौल पढ़ाई का बनेगा। कमल इंटर काॅलिज के प्रबंधक कालूराम धामा कहते है कि प्रदेश सरकार ने अभिभावक, छात्र व समाज के हित में स्कूल खोलने का अच्छा फैसला लिया है। जबकि अभिभावक लगातार कह रहे है कि कोविड गाइडलाइन के साथ विद्यालय खोले जाए। अभी देश भर में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ रहा है, उसे देखते हुए सरकार का निर्णय कुछ जल्दबाजी भरा हुआ लग रहा है। कुछ अभिभावक कह रहे है कि जब तक बच्चों को वैक्सीन नहीं लगती तब तक उन्हें स्कूल भेजना सुरक्षित नहीं है। घर से बाहर निकलकर कोरोना से बचाव के नियमों का बड़े ही पालन नहीं करते तो बच्चे कैसे करेंगे। इतना ही नही अभिभावक यंहा तक कह रहे है कि यह केवल फीस वसूलने के लिए स्कूल संचालकों के पक्ष में निर्णय लिया गया है। जब तीसरी लहर का खतरा सिर पर खड़ा है तो फिर स्कूल कुछ समय के बाद बंद होने ही हैं। ऐसे में स्कूल खोलने की जल्दबाजी क्यों दिखाई जा रही है।