गाजियाबाद। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच जिले में स्वाइन फ्लू की दस्तक चिंता बढ़ाने वाली है। बृहस्पतिवार को स्वाइन फ्लू के तीन केस सामने आए। तीनों मरीज का अस्पताल में इलाज चल रहा है। कोराना संक्रमण के अलावा बरसात की वजह से सामान्य फ्लू के केस भी आ रहे हैं। तीनों संक्रमण के लक्षण मिलते-जुलते होने की वजह से डॉक्टर भी उलझन में है। इस वजह से कोरोना और स्वाइन फ्लू की जांच करा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है एहतियात बरतने की जरूरत है। स्वाइन फ्लू के तीनों मरीज का इलाज कौशांबी के यशोदा अस्पताल में चल रहा है। अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एपी सिंह ने बताया कि अस्पताल में स्वाइन फ्लू के तीन मरीज भर्ती हैं। तीनों की स्थिति में सुधार है। मौसम में आए बदलाव की वजह से पिछले कुछ दिनों में फ्लू के केस बढ़े हैं। घबराने की नहीं एहतियात बरतने की जरूरत है। डॉ. एपी सिंह का कहना है कि इस समय डॉक्टरों के सामने सबसे चुनौती यह है कि उक्त तीनों संक्रमण के लक्षण मिलते-जुलते हैं। डॉक्टर फ्लू के संदिग्ध मरीजों की स्वाइन फ्लू और कोरोना की जांच करा रहे हैं। स्वाइन फ्लू के मौसम अनुकूल वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. अरविंद डोगरा का कहना है कि मौसम में बदलाव होने से एन1एच1 वायरस के लिए अनुकूल हो गया है। इस तरह के मामले छह साल के बाद दोबारा बढ़ रहे हैं। मौसम में नमी और तापमान का उतार चढ़ाव मरीजों के लिए अधिक परेशानी का कारण बन सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि कोविड संक्रमण के दौरान जैसे सावधानी बरती गई थी, उसी तरह की सावधानी बरतें।

ईएनटी सर्जन डॉ. बीपी त्यागी का कहना है कि तेज बुखार और खांसी, पसलियों में दर्द बेहोशी आने पर लापरवाही नहीं करनी चाहिए। इस तरह के वायरस सामान्य बुखार नहीं होते हैं। वायरस इंफ्लुएंजा एच1एन1 भी हो सकता है। इलाज में देरी बरते जाने पर यह नुकसानदायक साबित हो सकता है। जो हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं। इस बार रेस्प्रेटरी वायरस इंफ्लुएंजा भी कॉमन वायरस है। यह एक तरह का सीजनल फ्लू हैं। लेकिन इसके ट्रीटमेंट में लापरवाही बरतने पर निमोनिया और डबल निमोनिया में तब्दील होने का खतरा बढ़ जाता है। संयुक्त अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आरसी गुप्ता का कहना है कि स्वाइन फ्लू वायरस के कारण होता है, जिसे एच1एन1 वायरस कहा जाता है। इसकी वजह नाक बहना, खाँसी, भूख में कमी और व्यवहार में बेचैनी होती है। स्वाइन फ्लू का वायरस लगभग छह फुट की दूरी से अन्य व्यक्तियों में फैल सकता है। खांसने, छीकने और संक्रमित व्यक्ति द्वारा छुई किसी वस्त को स्पर्श करने से यह हो सकता है।

 

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