–सिमरन ने छह साल पहले गजेंद्र से किया था प्रेम विवाह

–गजेंद्र ने पति और कोच दोनों की भूमिका अच्छे से निभाई

–तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं सिमरन, चार साल पहले हुई पिता की मौत

-मध्यम परिवार से निकलकर देश को मेडल दिलाकर बनी सभी के लिए नजीर

मोदीनगर

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती…. ये लाइनें मोदीनगर की सिमरन शर्मा पर सटीक बैठती हैं। छोटी सी उम्र में आंखों की रोशनी ना होने के बावजूद आज उन्होंने विश्व में भारत का नाम ऊंचा किया। सिमरन के लिए यह राह आसान नहीं थी। लेकिन उनके हौसले, कठिन परिश्रम और लगन से यह संभव हो सका। उन्होंने अपनी कमजोरी को सफलता के आगे नहीं आने दिया। मुसीबतों का डटकर सामना किया। उनके संघर्ष पर शनिवार को विराम लगा और पेरिस पैरा आेलिंपिक में पदक अपने नाम किया। मूलरूप से मोदीनगर की गोयलपुरी की रहने वाली सिमरन तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। भाई आकाश निजी कंपनी में नौकरी करते हैं। बहन अनुष्का की शादी हो चुकी हैं। पिता की चार साल पहले मौत हो गई थी। माता हॉस्टल में खाना बनाने के काम करती है करीब छह साल पहले सिमरन की मोदीनगर तहसील के गांव खंजरपुर में गजेंद्र के साथ शादी हुई थी। यह प्रेम विवाह था। गजेंद्र सेना में हैं। उनकी दिल्ली में तैनाती हैं। उनके साथ ही सिमरन भी पिछले चार साल से दिल्ली में रह रही हैं। पति गजेंद्र ने ही उन्हें दौड़ का प्रशिक्षण दिया। पति के साथ कोच की भी भूमिका निभाई। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में सिमरन प्रशिक्षण करती थी। सिमरन उन लाेगों के नजीर बनी हैं जो अपनी दिव्यांगता काे कमजोरी मानकर राह से हट जाते हैं

मध्यम वर्गीय परिवार से निकलकर पेरिस तक का सफर

सिमरन के पिता मनोज शर्मा अस्पताल में चिकित्सक के पास नौकरी करते थे। मां सविता होटल में टिफिन सप्लाई करतीं हैं। परिवार की आय सीमित थी। मध्यम वर्गीय परिवार से निकलकर सिमरन ने पेरिस तक का सफर किया और देश को मेडल दिलाया। यह सफर संघर्षों से भरा था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। बचपन से ही खेलों को लेकर ललक थी। रूकमिणी मोदी इंटर कालेज से उन्होंने 12वीं उत्तीर्ण की। कालेज में होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेती थी। 12वीं के बाद खेलों में ही करियर की राह चुनी। भाई आकाश ने बताया कि सिमरन को बचपन से ही आंखों में परेशानी थी। वह साइड में नहीं देख सकती हैं। सामने भी कुछ ही दूरी तक सिमरन को दिखता है। उनके काफी परेशानी होती है इसके बावजूद वह अपने काम को लेकर गंभीर रहती हैं। आत्मनिर्भरता के साथ सभी काम करती हैं।

24.75 सेकंड में की 200 मीटर पार
सिमरन शर्मा ने पेरिस पैरालिंपिक में महिला की 200 मीटर टी-12 स्पर्धा में 24.75 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता। सिमरन दृष्टिहीन हैं और एक गाइड के साथ दौड़ती हैं। बचपन में उनकी विकलांगता के कारण उन्हें बहुत परेशान किया जाता था। उसके बाद भी उन्होंने कभी अपने हौसले को टूटने नहीं दिया

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