माता पिता अपनी संतान की खुशियों के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते है
मातृ शक्ति पर कुछ भी लिखने का साहस नहीं है क्योंकि उस शक्ति को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। लेेकिन पिता भी अपनी संतान की खुशियों के लिए उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए अपनी इच्छाओं को अपने जीवन को तथा अपने आज को ब्याज पर गिरवी रख देते हैं
यहाँ तक कि पिता अपने आप को इस माया जाल में अपनी संतान की खुशियों के लिए स्वयं को बेचने के लिए भी तत्पर रहता है।

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