Modinagar शनिवार देर रात चांद दिखने के बाद शहरी व ग्रामीण मुस्लिम बहुल्य क्षेत्रों में एक दूसरे को मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया। गुरूद्वारा रोड़, अपर बाजार, कस्बा रोड, फफराना रोड, गोविन्दपुरी, रूकमणी मार्केट सहित अन्य बाजारों में मुस्लिम समाज के लोगों ने परिवार के साथ खरीदारी की। अन्य दिनों के अपेक्षा शनिवार की रात्री व रविवार को बाजारों में काफी भीड़भाड़ देखी गई। सहरी और रोजा इफ्तार के लिए खजूर, सिवईं सहित अन्य खाद्य वस्तुओं की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ थी। कोरोना संकट के चलते दो साल के बाद बिना किसी पाबंदी के इस बार पाक-ए-रमजान हैं। रोजा रखने वालों में काफी उत्साह देखने को मिला। इफ्तार की दावतों का दौर भी चलेगा। पिछली बार की तुलना में इस बार 15 से 25 प्रतिशत तक खाद्य सामग्री पर तेजी है। रोजेदारों को ऊर्जा देने के लिए खजूर की कई किस्में बाजार में मौजूद हैं। इसकी कीमत दो सौ रुपये से लेकर ढाई हजार रुपये प्रतिकिलो तक है। खजूर खरीदने के लिए बाजार में लोग खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं। रमजान के दौरान खजूर की अधिक मांग रहती है। ऐसे में अस्थायी तौर पर खजूर की बिक्री करने वाले विक्रेता भी बाजार में देर रात तक जमे रहे। रेलवे रोड, फफराना रोड, अपर बाजार, गोविन्दपुरी आदि स्थानों पर पाक-ए-रमजान के मद्देेनजर खजूर की दुकानें सजी हुई हैं। सभी बाजारों में सबसे ज्यादा मांग सऊदी अरब से आने वाली खजूर की अलग-अलग किस्मों की है। हालांकि बीते वर्षो की तुलना में अलग-अलग किस्मों में 20 से लेकर 500 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
कारोबारियों के मुताबिक इस साल खजूर का बिजनेस काफी अच्छा होने की उम्मीद है। कोविड का संकट खत्म होने से बाजार में खजूर की मांग बढ़ी है। अभी सउदी और ईरान में खजूर के रेट बढ़े हैं। डालर के मुकाबले रुपया कमजोर होने से महंगाई दिख रही है। इस साल खजूर का आयात भी बढ़ा है। पिछले साल के मुकाबले ज्यादा खजूर आयात हो रहा है। गुजरात के मुंद्रा पोर्ट में सबसे ज्यादा खजूर उतरता है। उसके बाद मुंबई और चेन्नई के पोर्ट पर खजूर आता है। अभी मार्केट में ईरान और साउदी के कलमी, अजवा, अंबर, मशरूख खजूर की मांग अधिक है। इस बार रोजा इफ्तार की दावतें भी खूब होंगी। दो साल बाद खुलकर इफ्तार की दावतें होंगी। ऐसे में खजूर की खपत बढ़ेगी।
इसलिए रोजा के बाद खाते हैं खजूर
रमजान में मुस्लिम समाज के लोग रोजा रखते हैं, शाम को नमाज के बाद इफ्तार में खजूर खाते हैं। माना जाता है कि खजूर पैगंबर हजरत मोहम्मद का पसंदीदा फल था। वे खजूर खाकर रोजा खोलते थे। इसलिए आज भी मुसलमान खजूर से रोजा खोलते हैं। इन दिनों बाजार में खजूर की बिक्री बढ़ जाती है।
बेगमाबाद निवासी वरिष्ठ पत्रकार अनवर खान कहते है कि दो साल बाद कोरोना संकट के बादल छंटे हैं। इस बार पाक-ए-रमजान को लेकर परिवार में काफी उत्साह है। हमने खरीदारी की है। पहला रोजा घर के सभी लोग रखेंगे। उनकी सहरी व इफ्तार के लिए खाद्य वस्तुएं खरीदी हैं।
फरीदनगर निवासी कांग्रेसी नेता अयूब खान का कहना है कि सऊदी अरब में एक दिन पहले ही चांद का दीदार हो गया था, इस लिए अपने देश में शनिवार को चांद दिखा। रविवार से हम सभी परिजन रोजा रखें हुए है। दो साल बाद बिना किसी डर व दहशत के सहरी व इफ्तार की दावतों का दौर चलेगा।
Disha Bhoomi
