Modinagar : चुनाव निकट आते ही नेता दूसरे दलों में अपनी जगह बनाने में जुट गए हैं। जिस दल में हैं वहां मजबूत स्थिति न देख अन्य दल में जा रहे हैं। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के जिला अध्यक्ष चै0 प्रताप सिंह ने भी भाजपा  का दामन थाम लिया। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव के समय तमाम नेता दल बदल सकते हैं। कई नेता तो ताल ठोक कर कह रहे हैं, कि टिकट नहीं मिला तो भी वह चुनाव जरूर लड़ेंगे।
गुलाबी ठंड में चुनावी रंग में सभी रंगने लगे हैं। खासकर नेताओं का तो रंगना लाजिमी है। वो एक साल से विधानसभा के चुनावी मूड में आ गए थे। चुनाव नजदीक आते ही अब वो सुरक्षित घर देखने लगे हैं। हैं। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के जिला अध्यक्ष चै0 प्रताप सिंह ने एनवक्त पर भाजपा का दामन थामकर सभी को चैका दिया है। हालांकि, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अन्य नेताओं का कहना है कि भाजपा में जाने से पार्टी को कोई असर नहीं पड़ने वाला है। क्योंकि वह पूरी तरह से सक्रिय नहीं थे। बड़े नेताओं के संपर्क में वह जरूर रहे, मगर राजनीति में आगे बढ़ने के लिए निचले स्तर से राजनीति करनी बहुत जरूरी है।  इसके अलावा भाजपा व रालोद में भी कुछ ऐसे नेता हैं, जो डंके की चोट पर कह रहे हैं कि उन्हें चुनाव लड़ना है। यदि पार्टी टिकट देती है तो बहुत अच्छी बात रहेगी वो दमदारी से चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे भी। यदि पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वह फिर अपना रास्ता तय करेंगे। इतना ही नही एक रालोद में आये नये नेता की चर्चा है। कि अगर उन्हें रालोद से टिकट मिला तो वह दमदारी के साथ चुनाव लड़ेंगे ओर जीतकर भी दिखायेंगे, अगर टिकट नही मि ला तो वह अपने पुराने घर में ही जायेंगे।  
नेताजी बदल सकते हैं दल
जाहिर है कि वो किसी और दल से चुनाव लड़ सकते हैं। इसलिए भाजपा के साथ ही वो बसपा, रालोद में भी पैठ बनाने में लगे हुए हैं। वो इन दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। साथ ही इनके बड़े नेताओं से भी संपर्क कर रहे हैं, जिससे चुनाव में टिकट न मिलने पर वो दूसरे दल का दामन थाम लें। रालोद में भी संभावना जताई जा रही है, कि यदि मौके पर टिकट कटा तो नेताजी दूसरे दल का दामन थाम सकते हैं। कमोवेश बसपा में भी यही स्थिति है। कुछ ऐसे नेता है जो टिकट के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं, यदि पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया तो नेताजी वहां भी दल बदल सकते हैं।
रालोद में खूब चलता है खेल
सबसे अधिक बसपा व रालोद में खेल चलता है। टिकट न मिलने पर नेताजी पाला बदलने में देर नहीं लगाते हैं। हालांकि, कुछ नेता ऐसे हैं जो चुनाव के बाद अपना आशियाना बनाने में विश्वास रखते हैं, उन्हें पता है कि रालोद में टिकट नहीं मिला तो अन्य दल में तो उनका कोई वजूद नहीं है। ऐसे में वह चुपचाप बैठ जाते हैं, मौका देखने के बाद फिर अन्य दल में प्रवेश करते हैं।

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