Modinagar श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ के जिलाध्यक्ष दीपक कर्दम के आवास पर संत शिरोमणि गुरु रविदास जी 645वीं जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का आरम्भ बनारस में जन्मे संत के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित करते हुए किया। मुख्य वक्ता के रूप डाॅ0 अनिला सिंह आर्य ने संत के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वो जो समानता, भाईचारा के संदेश के साथ सबकी अन्न हो घर हो शिक्षा हो का संदेश शिरोमणि जी ने दिया आज भी प्रासंगिक है।  राजसी परिवार की मीरा ने उनका शिष्यत्व स्वीकार किया। परंतु संकुचित विचारों के चलते समाज को मानवता की और ले जाने वाले संत की हत्या कर दी गई। संतो की परम्परा रही है कि उन्होंने कोई सम्पदा नहीं बनायी परंतु सदियां गुजर गई, लेकिन उनके प्रति श्रद्धा आज भी बिना भेदभाव के समाज में है। मास्टर हरभजन सिंह ने कहा कि  महान पुरुषों का स्मरण तब लाभकारी होता है जब हम उनके बताये मार्ग पर चलने का प्रयास करते हुए उनके आदर्शों पर चलने के लिये प्रेरित करें। मनीष ने शिरोमणि जी के जीवन की घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वो आत्म निर्भर संत थे, जो अपने व्यवसाय के साथ खड़ी बोली में समाज को संदेश देते थे । संचालन अनुसूचित मोर्चा के क्षेत्रीय समिति सदस्य अमित तिसावड़ ने किया तथा अंत में सभी आगंतुकों का दीपक कर्दम ने आभ्ज्ञार प्रकट किया। इस अवसर पर दीपा वर्मा, बृजेश कर्दम, हरभजन सिंह, कपिल जाटव, अशोक कुमार, पप्पू, रोहित, मनीष, प्रमोद, कपिल, रोहतास, शेर सिंह, सुमन, पूनम, लाल सिंह, जियालाल गौतम, सुधा, विमला, नीतू, बृजेश, मुन्नी, सुमन, प्रेमवती, सुभद्रा, मंजु, जयवती, प्रमोद, अशोक, पारुल  आदि उपस्थिति रहे।

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