नोएडा। जिले के सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों पर एंबुलेंस सेवा सोमवार को ठप रही। पांच सूत्री मांगों के समर्थन में एंबुलेंस चालक हड़ताल पर रहे। इस कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जिला अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों से रेफर मरीजों को ऑटो और कैब का सहारा लेना पड़ा। एंबुलेंस कर्मचारी संघ ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक मांगे नहीं मानी जाएंगी, तब तक चालक एंबुलेंस नहीं चलाएंगे। जिले में 108 व 102 सेवा के तहत 34 एंबुलेंस उपलब्ध हैं। इनमें एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस भी शामिल हैं। हड़ताल से जिला अस्पताल समेत भंगेल, दादरी, बिसरख, ईकोटेक, रबुपुरा, जेवर सहित अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एंबुलेंस सेवा बंद होने से मरीज परेशान रहे। हालांकि, बेहद गंभीर मरीजों की सुविधा के लिए एंबुलेंस संघ की ओर से पांच एंबुलेंस और उनके चालकों के नंबर सीएमओ कार्यालय को दिए गए थे। जिला अस्पताल में 9 एंबुलेंस चलाई जाती हैं। हड़ताल से एंबुलेंस के लिए मरीज इधर से उधर भटकते रहे। जीवन दायिनी स्वास्थ्य विभाग 108, 102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ के जिला उपाध्यक्ष अविनेश ने बताया कि कोरोना काल में एंबुलेंस चालकों ने जिंदगी जोखिम में डालकर काम किया। इसके बाद भी उनकी मांगों की अनदेखी की जा रही है। चालक एंबुलेंस लेकर सेक्टर-45 पार्क पहुंचे और धरना-प्रदर्शन किया। हालांकि, इसकी अनुमति प्रशासन से नहीं ली गई थी। दोपहर को पुलिस ने पहुंचकर चालकों को वापस भेज दिया। वहीं, मंगलवार को भी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों पर एंबुलेंस खड़ी रहेंगी, लेकिन कोई चालक चलाएगा नहीं।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष हनुमान पांडेय की तरफ से डीएम को जारी ज्ञापन में मांग उठाई गई है कि कोरोना काल में शहीद कर्मचारियों के आश्रितों को 50 लाख रुपये बीमा और सहायता राशि उपलब्ध कराई जाए। एंबुलेंस सेवा के लिए कंपनी बदलने की तैयारी है। कंपनी बदलने पर वेतन में कटौती न की जाए। जब तक सभी एंबुलेंस कर्मियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधीन नहीं किया जाता, तब तक न्यूनतम वेतन, चार घंटे ओवर टाइम और सालाना 23 हजार रुपये महंगाई भत्ता दिया जाए। प्रशिक्षण शुल्क के नाम पर कर्मचारियों से डीडी न लिए जाएं।