आजादी के 75 साल बाद जिले की पुलिस हाईटेक हो गई है। यहां तक की कमिश्नरी सिस्टम भी लागू कर दिया गया। अब तमाम काम कंप्यूटर से पुलिस कर रही है, लेकिन पुलिस नियमावली आज भी अंग्रेजों के जमाने की चली आ रही है। उस वक्त भले ही ये शब्द आम बोलचाल की भाषा में शामिल रहे हों, यह वह शब्द हैं जिन्हें न तो नए पुलिसवालों ने अपने स्कूलों में पढ़ा है और न ही ये शब्द उनकी आम भाषा में शामिल है। ऐसे में पुलिसकर्मी इन शब्दों को इस्तेमाल करने में भी हिचक महसूस करते हैं। देश में 1861 में अंग्रेजों ने जब पुलिस नियमावली बनाई उस समय उर्दू, फारसी और अरबी आम बोलचाल की भाषाएं थीं। इसी के चलते नियमावली में इन भाषाओं के हिसाब से तैयार किया गया। 1947 में जब देश को आजादी मिली तो अंग्रेजों की नियमावली को ही अपना लिया गया।

संविधान में इस नियमावली को बदलने की बात कही गई लेकिन 75 साल बाद भी इस पर काम नहीं किया गया। गौतमबुद्ध नगर जिला में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने और साइबर क्राइम के थाने और अंग्रेजी बोलने वाले पुलिसकर्मी तैनात हैं। कंप्यूटर से जहां तमाम कार्य पुलिस विभाग में हो रहे हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी के जमाने में आज भी नए पुलिसकर्मियों को भाषाई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। तमाम शब्द तो ऐसे हैं जिनके अर्थ डिक्शनरी में ढूंढने में भी दिक्कत होती है।

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