मोदीनगर। दावे हर प्रत्याशी अपनी जीत के कर रहा है लेकिन ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो 10 मार्च को ही साबित होगा।
मोदीनगर विधानसभा चुनाव में सबसे खास बात जो देखने को मिली वह थी, उलझा हुआ मतदान। चैकाने वाली बात यह भी रही कि इस दौरान न तो किसी की हवा चली और न ही किसी का काम बोला। वेस्ट की राजनीति में मोदीनगर विधान सभा को भी केन्द्र बिदुं माना जाता है तो वेस्ट की दिशा व दशा दोनों को तय करता है। इस लिये अधिकतर राजनीतिक दलों को यंहा विशेष फोकस होता है। चुनाव से पहले बड़ी बड़ी सभा कर शक्ति प्रदर्शन के सहारे वोट बटोरना राजनीतिक दलों की रणनीती का मुख्य हिस्सा माना जाता है। इस बार ही ऐसा ही हुआ। पहले गठबंधन, भाजपा व फिर कांग्रेस, बसपा आदि की सभा संपन हुई। सभी ने जमकर जोर अजमाईश की और विधानसभा क्षेत्र के लोगों को तरह तरह का प्रलोभन देकर मतदाताओं को लुभाने का काम किया। किसी ने लोकसभा चुनावों की तरह हवा बनाने का प्रयास किया तो किसी ने काम बोलता है कि तर्ज पर चर्चा बनाये रखने का प्रयास किया, कुछ दल केन्द्र व राज्य सरकार की उपलब्धियों का बखान करते व कुछ खामिया गिनाते हुये नजर आये। मगर मतदाता इस बार इतना चतुर रहा कि किसी को भी भनक नही लगने दी। जिससे प्रत्याशियों की जीत हार पर लोग चर्चा कर रहे है और समर्थक कयास लगा रहे है कि जीत हमारी ही होगी। अब देखना यह है कि 10 मार्च को ऊंट किस करवट बैठता है।

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