मोदीनगर। शहर में बंदरो के आये दिन हो रहे हमले से लोग परेशान है, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नही दे रहा है। मंगलवार को दंपत्ति पर हुए बंदरों के हमले से पति की घर की तीसरी मंजिल से गिरने के कारण दर्दनाक मौत हो गई। जिससे परिवार में कोहराम मचा है। भूपेंद्रपुरी काॅलोनी स्थित रेलवे स्टेशन के सामने अशोक चौधरी अपने परिवार के साथ रहते है। मंगलवार की सुबह वह अपने मकान की तीसरी मंजिल पर पति के साथ टहल रहे थे कि इसी बीच बंदरों को झुंड आ गया ओर दंपत्ति पर हमला बोल दिया। किसी तरह अशोक बचाव करने के फेर में मकान की तीसरी मंजिल से सिर के बल नीचे गिर गये ओर उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। बंदरों के हमले में उनकी पत्नी भी बुरी तरह घायल हो गई।
मृतक के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। बताते चले कि बंदरों के हमले से करीब तीन माह पूर्व ही तेल मिल गेट व्यवसाई परचून व्यापारी पवन चौधरी की छत से गिरकर मौत हो चुकी है। इसके अलावा कृष्णा नगर, गोविन्दपुरी, सुचेतापुरी, ऋषभ बिहार आदि दर्जनों क्षेत्रों में बंदरों के हमलों से पांच सौ से अधिक लोग घायल हो चोटिल हो चुके है। बंदरों के आतंक से निजात दिलायें जाने को लेकर सर्वप्रथम रानी लक्ष्मीबाई फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष कुसुम सोनी ने आंदोलन की शुरूआत की ओर धरना प्रदर्शन के साथ ही वह नगर पालिका के गेट पर गतवर्ष क्रमिक अनशन पर बैठी थी। उनके समर्थन में दर्जनों सामाजिक व राजनीतिक संगठन भी आ खड़ें हुयें थे। सभी के प्रयास से गतवर्ष पालिका द्वारा टेंडर प्रक्रिया आदि के बाद बंदरों पकडों अभियान की शुरूआत भी की गई, लेकिन भाजपा की सांसद, केंद्रीय मंत्री व पीएफए की अध्यक्ष मेनका गांधी के हस्तक्षेप के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने इस अभियान को तत्काल रोक दिया। उस दौरान मेनका गांधी ने अभियान की शुरूआत कराने वाले अधिकारियों को भी जाकर खरीखोटी सुनाई थी। मेनका गांधी को कोस रहे है लोग अशोक की मौत के बाद क्षेत्र के लोग काफी गुस्सें में है, लोगों का आरोप है कि अगर मेनका गांधी बंदर पकडों अभियान को बंद ना कराती, तो आज अशोक की जान बच सकती थी, लेकिन बंदरों व पशुओं की मसीहा बनने वाली मेनका गांधी ने एक ओर युवक की जान ले ली। लोगों ने अब इस मामले को लेकर आंदोलन करने का मन बना लिया है। कई सामाजिक व राजनीतिक संगठनों के लोग इस घटना के बाद क्षुब्ध है