मोदीनगर। जमाना कोई भी रहा हो समाज ने गुरु को सदैव उच्च स्थान दिया हैं, हिन्दू धर्म के ग्रंथों में गुरु की महिमा का बखान इसी तरह किया गया हैं, उन्हें ईश्वर से ऊँचा दर्जा प्रदान किया हैं। संत कबीर दास ने भी ऐसी ही बात कही हैं। हमारी यह गुरु सम्मान की परम्परा हजारो सालों से चलती हुई आज तक जीवित हैं। गुरु पूर्णिमा के रूप में हमारे पूज्य गुरुजनों का पूजन करना उनका मान सम्मान करना इस दिवस के विशिष्ट उद्देश्य हैं।
प्रसिद्व ज्योतिषाचार्या व चेयरपर्सन ज्योतिष ज्ञानपीठ डाॅ0 सोनिका जैन ने गुरू का अर्थ बताते हुए कहा कि शास्त्रों में दो अक्षरों से मिलकर बने गुरु शब्द का अर्थ प्रथम अक्षर गु का अर्थ अंधकारश् होता है, जबकि दूसरे अक्षर रू का अर्थ उसको हटाने वाला होता है। अर्थात् अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरुकहा जाता है। गुरु वह है जो अज्ञान का निराकरण करता है अथवा गुरु वह है जो धर्म का मार्ग दिखाता है। इतिहास में हमें कई आदि गुरुओं का उल्लेख मिलता है। अर्जुन के गुरु द्रोण, चन्द्रगुप्त के गुरु चाणक्य, एकलव्य जैसे शिष्य के गुरु नानक देव, महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, शंकराचार्य तथा मुनि व्यास के बारे में अवश्य पढ़ा होगा।
क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा
भारत के आदि गुरु कहे जाने वाले मुनि वेदव्यास के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में यह पर्व मनाया जाता हैं। उन्होंने महाभारत जैसे ग्रन्थ की रचना की थी।
कब होती है गुरु पूर्णिमा
सोनिका जैन ने बताया कि इस वष गुरु पूर्णिमा का त्योहार आषाढ़ मास में पूर्णिमा के दिन 24 जुलाई 2021 शनिवार को मनाई जाएगी । सोनिका ने कहा कि आज भी खेल जगत में अच्छा प्रशिक्षण देने वाले कोच को द्रोणाचार्य सम्मान प्रदान किया जाता हैं। महान क्रिकेटर सचिन रमेश तेंदुलकर के नाम से सभी परिचित हैं। इनके गुरु का नाम रमाकांत आचरेकर था। दसवीं कक्षा में फिसड्डी साबित होने वाले सचिन की प्रतिभा क्रिकेट में अद्भुत थी, जिसे आज पूरी दुनिया क्रिकेट का भगवान कहती हैं। मगर उस नन्हे से बच्चें में क्रिकेट की प्रतिभा को पहचानने वाले आचरेकर ही थे, उन्होंने ही बालक सचिन को महान सचिन तेंदुलकर बनाया था। गुरु पूर्णिमा भारत की संस्कृति से जुड़ा पर्व है। इस धरती से उपजे चार बड़े धर्म हिंदू, सिख, बौद्ध एवं जैन धर्म को मानने वालों द्वारा गुरु पूर्णिमा को विशेष रूप से मनाया जाता है। हमारी संस्कृति में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश त्रिदेव से ऊपर का दर्जा दिया जाता है। इसका कारण यह है कि वह गुरु ही होता है जो हमें अपने बारे में, संसार के बारे में व प्रत्येक जीव के बारे में ज्ञान देता है वही हमें ईश्वर का ज्ञान कराता है तथा उसे प्राप्त करने के तरीके भी बताता है।
जैन ने कहा कि हमारे समाज में कई लोगों द्वारा गुरु पद की भूमिका का निर्वहन किया जाता है, हमारे शिक्षक, बुजुर्ग सदस्य, माता-पिता, संत, महापुरुष आदि हमें जीवन उपयोगी ज्ञान देते हैं तथा सही राह पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। विद्वान कहते हैं कि यदि जीवन में कामयाब होना है तो गुरु की शरण में चले जाइए, उनके बिना जीवन में एक अच्छा इंसान भी नहीं बना जा सकता। जीवन के विभिन्न क्षेत्र जैसे खेल, शिक्षा, चिकित्सा, सिनेमा, साहित्य, अध्यात्म आदि में हम प्रवेश तो कर सकते हैं, मगर हमारा सफर कितनी दूर जाएगा यह हमारे गुरु और उनके प्रशिक्षण पर ही निर्भर करता है। हमें उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए। सदैव उनका सम्मान एवं सत्कार करना चाहिए, गुरु पूर्णिमा का पर्व एक इसी तरह का अवसर है जब हम गुरु दक्षिणा देकर अपने प्रिय गुरु के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट कर सकें। गुरु के बिना जीवन की कल्पना भी अधूरी है हिंदू धर्म के अनुसार बृहस्पति देव सभी देवताओं और ग्रहों के गुरु हैं एक तरह माता.पिता हमें संस्कार देते हैं तो दूसरी तरफ गुरु हमें ज्ञान देता है। गुरु का ज्ञान और शिक्षा ही जीवन का आधार है।