हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र ग्रन्थ गीता की जयंती मनाई जाती है इस अवसर पर गिन्नी देवी मोदी संस्कृत विद्यापीठ में ब्रह्मचारियों के एवं गुरू जनों केद्वारा गीता के श्लोकों का गमन करके तथा गीता पर प्रकाश डाल कर अति हर्ष के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विद्यापीठ के प्रधानाचार्य श्री शम्भुनाथ झा जी ने बताया महाभारत के समय श्री कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान का मार्ग दिखाने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया। उन्होंने बताया मनुष्य के हाथ में केवल कर्म करने का अधिकार है,फल की चिंता करना व्यर्थ है। अर्थात मनुष्य को निःस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए यह बात स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मुखारविंद से कुरूक्षेत्र की धरा पर श्रीमद्भगवद्गीता में कहीं है। किसी भी धर्म में ऐसा कोई ग्रंथ नहीं है।जिसके उद्भव की तिथि महोत्सव के रूप में मनाई जाती है। एकमात्र गीता ही वह ग्रंथ है। इस अवसर पर विद्यापीठ के आचार्य गण श्री सतीश शर्मा,उदयचंद्र झा, दामोदर शर्मा, मनीष मिश्र, अर्पित दीक्षित, पंडित ओमकार मिश्र,रामांश शुक्लाउपस्थित रहे

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