मोदीनगर। हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा पर भाई-बहन के प्यार के प्रतीक का त्यौहार रक्षाबंधन मनाया जाता है। एक दूसरे के प्रति प्यार समर्पित करने का त्यौहार है रक्षाबंधन । जहां एक बहन अपने भाई की सुरक्षा, सफलता और संपन्नता के लिए प्रार्थना करती है और भाई ताउम्र अपनी बहन की रक्षा के लिए प्रण लेता है। रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ रक्षा करने वाला बंधन मतलब धागा है। रक्षा बंधन को राखी या सावन के महिने में पड़ने के वजह से श्रावणी व सलोनी भी कहा जाता है। इस संबन्ध में चेयरपर्सन, ज्योतिष ज्ञानपीठ की डॉ0 सोनिका जैन ने रक्षा बंधन के महत्व व उससे जुड़ी परंपराओं के संबन्ध में प्रकाश डाला है। रक्षा बंधन 22 अगस्त दिन रविवार को है। पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त शाम से शुरू हो जाएगी और अगले दिन राखी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन देवगुरु बृहस्पति और चंद्रमा की युति रहेगी। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार रक्षाबंधन के दिन चंद्रमा कुंभ राशि में रहेंगे और देवगुरु बृहस्पति इस समय कुंभ राशि में ही विराजमान हैं। इस युति से गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है।
रक्षा बंधन तिथि और शुभ मुहूर्त पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 21 अगस्त 2021, शाम 03.45 मिनट ,पूर्णिमा तिथि समापन:22 अगस्त 2021, शाम 05.58 मिनट, शुभ मुहूर्त: सुबह 05.50 मिनट से शाम 06.03 मिनट,रक्षा बंधन की समयावधि: 12 घंटे 11 मिनट, रक्षा बंधन के लिए दोपहर में समय: 01.44 से 04.23 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12.04 से 12.58 मिनट तक अमृत काल: सुबह 09.34 से 11.07 तक ब्रह्म मुहूर्त: 04.33 से 05.21 तक रक्षा बंधन का इतिहास एक बार की बात है, देवताओं और असुरों में युद्ध आरंभ हुआ। युद्ध में हार के परिणाम स्वरूपए देवताओं ने अपना राजपाठ सब युद्ध में गवा दिया। अपना राजपाठ पुनः प्राप्त करने की इच्छा से देवराज इंद्र देवगुरु बृहस्पति से मदद की गुहार करने लगे। तत्पश्चात देव गुरु बृहस्पति ने श्रावण मास के पूर्णिमा के प्रातः काल में निम्न मंत्र से रक्षा विधान संपन्न किया।
इस पुजा से प्राप्त सूत्र को इंद्राणी ने इंद्र के हाथ पर बांध दिया। जिससे युद्ध में इंद्र को विजय प्राप्त हुआ और उन्हें अपना हारा हुआ राज पाठ दुबारा मिल गया। तब से रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाने लगा। राखी के पर्व का महत्व, इतिहास के इस कहानी से भी लगाया जा सकता है। सम्राट हुमायूँ अन्य धर्म से संबंध रखने के बावजूद राखी के महत्व के वजह से बहादुर शाँह से युद्ध कर रानी कर्णावती को युद्ध में विजय दिलवाया। राखी के महत्व से जुड़ी प्रसिद्ध पौराणिक कथा राखी के प्रचलित कहानियों में द्वापर की यह कहानी सर्वाधिक प्रचलित है, एक बार श्री कृष्ण के उंगली कट जाने पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी के एक कोने को फाड़ कर कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। कथानुसार द्रौपदी के सबसे मुश्किल समय में श्री कृष्ण ने उस साड़ी के एक टुकड़े का कर्ज, द्रौपदी का चीर हरण होने से बचा कर निभाया। वह साड़ी का टुकड़ा कृष्ण ने राखी समझ कर स्वीकार किया था।
जैन धर्म में रक्षा बंधन क्यों और कैसे मनाते हैं
जैन धर्म मे रक्षा बंधन का दिन बहुत शुभ माना जाता है इस दिन एक मुनि ने 700 मुनियों के प्राण बचाए थे। इस वजह से जैन धर्म से संबंध रखने वाले लोग इस दिवस पर हाथ में सूत का डोर बांधते हैं।