Modinagar । एक गरीब आदमी रहने को छोटा सा मकान बनाए तो उसे गाजियाबाद विकास प्राधिकरण से नोटिस मिल जाता है। उसके निपटारे को दौड़ दौड़कर उसकी चप्पलें घिस जाती हैं। वहीं शहर की सड़कों पर बड़े-बड़े व्यवसायिक काम्पलैक्स व अवैध इमारतों के निर्माण बनते जा रहे हैं, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के जोन-2 जिम्मेदार साहब इन्हें सिर्फ नोटिस देकर ठंडे पड़ जाते हैं। ये नोटिस अवैध निर्माण की नींव में दब जाते हैं। बिना पार्किंग वाले अवैध निर्माण जाम की वजह बनते जा रहे हैं।
शहर की व्यवस्थित बसावट के लिए मोदीनगर में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का कार्यालय मौजूद है। मगर अवैध ढंग से निर्माण कराने वालों पर जेई समेत यंहा गाजियबाद विकास प्राधिकरण जोन-2 के अधिकारी व प्राधिकरण का जिलास्तरीय प्रशासन मेहरबान रहता है। इससे न सिर्फ राजस्व को चूना लगता है, बल्कि शहर की यातायात व्यवस्था भी ध्वस्त हो जाती है। पिछले लगभग दो साल से हापुड़ रोड़, फफराना रोड. व दिल्ली- मेरठ मुख्य मार्ग स्थित मोहन पार्क के निकट एक व्यवसायिक कांप्लेक्स का निर्माण चल रहा है। इसके सामने पार्किंग के लिए एक इंच भी जगह नहीं छोड़ी गई है। इससे स्पष्ट है कि माल के शुरू होते ही सड़क पर ग्राहकों के वाहनों से जाम लगेगा। वही बिना मानचित्र स्वीकृत कराएं किये जा रहे अवैध निर्माणों व काॅम्पलैक्स के निर्माण से प्राधिकरण को भी लाखों के राजस्व का चूना लग रहा है।
शिकायत के बाबजूद नही करते प्राधिकरण के अधिकारी कार्रवाही
अगर बात की जायें मोहन पार्क के निकट व अन्य स्थानों पर काॅम्पलेक्सों के अवैध निर्माण की तो तमाम शिकायतों के बाबजूद प्राधिकरण अधिकारी कोई कार्रवाही नही करते है। मोदीनगर स्थित प्राधिकरण के जोन-2 कार्यालय से संबद्व दो साल के भीतर कई अवर अभियंता व अधिकारी बदले, लेकिन अवैध निर्माणों की अवधि में तीन काई कार्रवाही नही की गई। शिकायतों के बाबजूद निर्माण कार्य जारी रहता है। स्वीकृत मानचित्र के विपरीत अवैध निर्माण की सूचना पर जोन-2 प्रभारी द्वारा नोटिस जारी किए जाने की बात कही जाती है। उसके न अवैध निर्माण रुका न ही कोई कार्रवाई होती है। मोदीनगर के तत्कालीन एसडीएम कृष्णा करूणेश विकास प्राधिकरण के जिला मुख्यालय पर उपाध्यक्ष है। वह भी कई बार इन्ही अवैध निर्माण के सामने से होकर गुजरे होंगे, साथ ही स्थानीय जोन-2 कार्यालय पर तैनात जेई भी यंहा से गुजर कर अपने दफ्तर पहुंचते हैं। मगर उनके दिमाग में भी आज तक यह सवाल नहीं कौंधा कि मोहन पार्क के निकट ही निर्माणाधीन काॅम्पलैक्स के आगे वाहन कहां खड़े होंगे, ओर बिना मानचित्र स्वीकृत अवैध निर्माण क्यो किया जा रहा है। इसी तरह हापुड़ रोड, फफराना रोड सहित करीब आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर अवैध निर्माण चल रहा है। अधिकतर इन मामलों में नोटिस जारी कर अफसर शांत हो गए ओर प्राधिकरण द्वारा जारी अवैध निर्माण का नोटिस भी नींव में दफन है।
सैकड़ों से अधिक नोटिस लंबित
प्राधिकरण जोन-2 से मिली जानकारी के अनुसार अवैध निर्माण के खिलाफ विनियमित क्षेत्र से अब तक सैकड़ों से अधिक नोटिस जारी किए जा चुके हैं। ये सभी मामले वर्षों से लंबित हैं। जबकि नियम है कि नोटिस का जवाब न मिलने पर प्राधिकरण प्रशासन अवैध निर्माण ढहा सकता है। सूत्रों की मानें तो इन नोटिसों के आधार पर अवैध वसूली का खेल खेला जाता है। प्राधिकरण के अधिकारियों की मानें तो नोटिस जारी होने के बावजूद अगर अवैध ढंग से निर्माण कर लिया गया है, तो मामला संगीन है। प्रकरण की जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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