ओलंपिक पदक लेकर टोक्यो से वापस लौट आईं मीराबाई चानू अपनी मां से मिलने के लिए बेताब हैं, लेकिन वह साफ कर देती हैं कि पदक मिलने के बावजूद वह ज्यादा आराम नहीं करेंगी। अगस्त के दूसरे सप्ताह में ही वह मणिपुर से वापस एनआईएस पटियाला लौट आएंगी और अगले वर्ष होने वाले राष्ट्रमंडल, एशियाई खेलों की तैयारी में जुट जाएंगी। टोक्यो से लौटने के बाद मीरा ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की। वह मंगलवार की सुबह इंफाल के लिए रवाना हो रही हैं। कोच विजय शर्मा ने खुलासा किया कि मीरा को घर भेजना जरूरी है, लेकिन छुट्टियां ज्यादा लंबी नहीं होंगी। ज्यादा आराम देना ठीक नहीं होगा। वह चाहते हैं कि अगले वर्ष के लिए मीरा की तैयारियां अभी से शुरू हो जानी चाहिए। 10 अगस्त के बाद मीरा को एनआईएस बुला लिया जाएगा। हालांकि इसी दौरान एनआईएस में होने वाली राष्ट्रीय चैंपियनशिप में वह उन्हें नहीं खिलाने की सोच रहे हैं, लेकिन वह तैयारियां नहीं रोकेंगे। मीराबाई का ओलंपिक रजत पदक तीन करोड़ 11 लाख रुपये में पड़ा है। अमेरिका में 2017 में विश्व चैंपियन बनने के बाद से यह राशि मीरा की तैयारियों पर साई और वेटलिफंर्टग संघ ने खर्च की है। साई ने मीरा की तैयारियों पर दो करोड़ 59 लाख 86 हजार और वेटलिफ्टिंग संघ ने साढ़े 51 लाख रुपये खर्च किए हैं। साई ने मीरा पर उपकरण, अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट, राष्ट्रीय शिविर में उनकी तैयारियों, जेब खर्च, रहने-खाने पर खर्च किए हैं। वहीं मीरा को इसके बदले करोड़ों रुपये की बरसात होने जा रही है। मणिपुर सरकार उन्हें एक करोड़ देने की घोषणा कर चुकी है। 50 लाख खेल मंत्रालय से, 40 लाख आईओए से उन्हें मिलेगा।
रेल मंत्रालय भी उन्हें मोटी राशि देने की घोषणा करने जा रहा है। मीरा कहती भी हैं कि जिस तरह से साई ने उनकी एक दिन में अमेरिका की यात्रा का इंतजाम था उससे ही उनको ओलंपिक पदक जीतने में मदद मिल पाई।जब मीरा को स्वर्ण मिलने की चर्चा ने पकड़ा जोर सोमवार को सुबह एक ट्वीट ने मीराबाई चानू के रजत को स्वर्ण पदक में बदले जाने की चर्चाओं को हवा दे दी। बताया गया कि स्वर्ण जीतने वाली चीन की हू जीहुई के डोप में फंसने की सूचना है, लेकिन ये बाते पूरी तरह निराधार निकलीं। वेटलिफ्टिंग संघ के महासचिव सहदेव यादव ने टोक्यो से बताया कि उन्होंने अंतराष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग संघ के अध्यक्ष से इस संबंध में बात की है। उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।