आजादी से पहले का लक्ष्मी विलास बैंक अब इतिहास हो गया। कर्ज संकट में फंसने के बाद शुक्रवार को अंतत: इस बैंक का अस्तित्व समाप्त हो गया। सिंगापुर के डीबीएस बैंक की भारतीय अनुषंगी डीबीएस इंडिया के साथ लक्ष्मी विलास बैंक का विलय इसका कारण है।  रिजर्व बैंक ने डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड के साथ इसके विलय की घोषणा 27 नवंबर को की थी।

रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि लक्ष्मी विलास बैंक की सभी शाखाएं 27 नवंबर से डीबीआईएल की शाखाओं के रूप में कार्य करेंगी। बहरहाल, अब बैंक के जमाकर्ताओं के पास स्पष्टता है, लेकिन बैंक के प्रवर्तकों और निवेशकों को निराश ही छोड़ दिया गया है। लक्ष्मी विलास बैंक को डीबीएस इंडिया के साथ विलय से पहले 318 करोड़ रुपये के टिअर-2 बेसल-3 बांडों को राइट ऑफ करने के लिए कहा गया था। रिजर्व बैंक ने बैंकिंग नियमन अधिनियम की धारा 45 का हवाला देते हुए यह निर्देश दिया था।

इसके अलावा, बैंक के शेयरों को समामेलन – लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड योजना 2020 के अनुसार डिलिस्ट किया जा रहा है।  बैंक यूनियनों सहित कई हितधारकों ने एक विदेशी बैंक की सहायक कंपनी के साथ लक्ष्मी विलास बैंक का विलय करने के तरीके पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि रिजर्व बैंक ने विदेशी कंपनी को मुफ्त में लक्ष्मी विलास बैंक का तोहफा दे दिया है।

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