बैंक अधिकारियों से साठगांठ कर करीब 200 करोड़ का लोन घोटाला करने वाले लक्ष्य तंवर को गाजियाबाद की नगर कोतवाली पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया। कविनगर निवासी लक्ष्य तंवर के अलावा पुलिस ने तुराब नगर निवासी उसके चाचा सुनील व चचेरे भाई शिवम को भी गिरफ्तार किया है। , लेकिन उसकी गिरफ्तारी पहली बार हुई है। सीओ प्रथम महीपाल सिंह ने बताया कि लक्ष्य तंवर को अक्टूबर 2020 में नगर कोतवाली में दर्ज हुए मामले में गिरफ्तार किया गया है। उसने एक प्रॉपर्टी अपने चाचा सुनील व चचेरे भाई शिवम के नाम कराई। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक की चंद्रनगर शाखा के तत्कालीन मैनेजर उत्कर्ष कुमार व डिप्टी मैनेजर प्रियदर्शनी से साठगांठ कर संपत्ति पर चार करोड़ का लोन करा दिया। सीओ ने बताया कि बैंक ने नोटिस भेजे तो सुनील व उसके बेटे शिवम ने लक्ष्य तंवर के खिलाफ केस दर्ज करा दिया। शिवम ने अक्तूबर 2020 में कोर्ट के आदेश पर लक्ष्य तंवर, उसकी पत्नी प्रियंका, बैंक मैनेजर, डिप्टी मैनेजर समेत अन्य के खिलाफ नगर कोतवाली में केस दर्ज कराया था।

जांच में शिवम और उसके पिता की साजिश बेनकाब हो गई। लाखों रुपये की प्रॉपर्टी पर भी वह चंद घंटों में करोड़ों का लोन दिलाने का दावा करता था।  रिटायर्ड डीएसपी एलएस मौर्य के मुताबिक वर्ष 2012 में उन्होंने तुराबनगर में 32 लाख रुपये में एक फ्लैट खरीदा।  कृष्ण कुमार के नाम पर 70 लाख का लोन लेकर डकार लिया।  इसी तरह लक्ष्य तंवर ने फर्जीवाड़ा कर सपा नेता संजय यादव की दो संपत्तियों पर 7 करोड़ का लोन कराया था। लक्ष्य के खिलाफ सिहानी गेट में भी एक केस दर्ज है। उसने मृतक को जिंदा दिखाकर मकान की रजिस्ट्री कराई और फिर उस पर डेढ़ करोड़ का लोन निकाल लिया। लक्ष्य ने जिस मृतक को जिंदा दिखाया, उसी के बेटे को रजिस्ट्री के दौरान गवाह भी बनाया। सिहानी गेट पुलिस ने हाल ही में मृतक के गवाह बेटे को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। लक्ष्य तंवर ने थाना पुलिस से लेकर सीबीआई तक से आंख-मिचोली की। लक्ष्य तंवर से जुड़े पांच मामले सीबीआई के पास भी हैं। गौर करने वाली बात यह है कि स्थानीय पुलिस से लेकर सीबीआई तक उसे पकड़ने पहुंची, लेकिन उसने कोर्ट का अरेस्टिंग स्टे ऑर्डर दिखाकर खुद को बचा लिया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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