Modinagar मोदीनगर विधानसभा चुनाव का मतदान हो चुका है। जहां भी लोग इकट्ठा होते हैं वहां कौन जीतेगा कौन हारेगा, कौन सी पार्टी का प्रत्याशी जीत रहा है, कौन आगे है, कौन पीछे है, इसकी चर्चा शुरू हो जाती है। हालत यह है कि प्रत्येक समर्थक की जेब में जीत की पर्ची है, उसके उम्मीदवार कैसे जीत रहा हैं, इसका पूरा आंकड़ा उसकी जेब में होता है। हालांकि, आंकड़ों की सत्यता का कोई प्रमाण नहीं होता है।
मोदीनगर विधानसभा में कई दिन पूर्व मतदान हो चुका है। मतदान के बाद आफिस व बाजारों में रौनक भी लौट आई है। सभी ने काम शुरू कर दिया है। एक दूसरे से मिलने पर काम की बात तो बाद में होती है, पर एक ही सवाल होता है। इस बार वोट डाला या नहीं। उसके बाद आपके क्षेत्र में कौन चुनाव जीत रहा है, इसकी चर्चा शुरू हो जाती है। उम्मीद के समर्थक तत्काल जेब से पर्ची निकाल लेता है और आंकड़े बताना शुरू कर देता है। समर्थक के पास केवल कितने मतदान हुआ, इसका सही आंकड़ा होता है। समर्थक उसके उम्मीदवार के विधानसभा क्षेत्र में कितने प्रतिशत किस जाति व किस धर्म के मतदाता है, उसके बारे में बताएगा और उसके उम्मीदवार को कितना वोट मिला है, यह बताएगा और जीत का दावा करता है। लेकिन, वोट मिलने के सत्यता का कोई प्रमाण नहीं होता है, केवल कहता कि देखना 10 मार्च का रिजल्ट मेरी बात को साबित कर देगा। कुछ ऐसे समर्थक है, जिसके पास कोई तर्क नहीं हैं, केवल कहानी है। एक पार्टी के समर्थक कुछ जाति के नाराज होने से दूसरे को फायदा होना बताते हैं। वहीं, कुछ का दावा है कि वोट में बिखराव से उनको नुकसान होगा। कुछ लोगों के वोट के बंटवारे की भी बात कहते हैं।

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