गाजियाबाद। सरकारी अस्पताल में कुछ डॉक्टर और स्टाफ अपनी ड्यूटी को लेकर गंभीर नहीं हैं। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। शनिवार को इस तरह की दो लापरवाही देखने को मिली। एक जगह समय से पहले अस्पताल बंद हो गया था। दूसरी जगह इमरजेंसी से डॉक्टर अपनी सीट से गायब थे। मरीज इलाज के लिए इंतजार करते मिले। इमरजेंसी में बुखार से पीड़ित एक महिला अंदर बैठी थी। इस दौरान ऑटो में परिवार केे लोग 52 वर्षीय मरीज राजकुमार को लाए। उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी। वह बेहोशी की हालत में थे। उन्हें इमरजेंसी में बेड पर लिटाया, इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर डॉ. वीके मिश्रा मौजूद नहीं थे। स्टाफ ने पल्स ऑक्सीमीटर से चेक किया तो ऑक्सीजन से चुरेशन 82 मिला।
मरीज को गंभीर भर्ती किया और पैरा मेडिकल स्टाफ ने ही इलाज शुरू किया। गोविंदपुरम रहकर सुनील मजदूरी करते हैं। उनकी बहन रीता को एक सप्ताह से बुखार है। पहले मोहल्ले में ही प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराते रहे। शनिवार अचानक तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो वह ऑटो से लेकर संयुक्त अस्पताल पहुंचे। डेढ़ बजे ही अस्पताल बंद हो गया। सुनील बहन के इलाज के लिए इधर-उधर भटकता रहा, लेकिन इलाज नहीं मिला। अस्पताल के ही एक स्टाफ ने सुनील को सलाह दी कि एमएमजी अस्पताल चले जाओ, वहां भर्ती हो जाएंगी। इसके बाद सुनील ऑटो से ही बहन को ले जाकर एमएमजी अस्पताल पहुंचे और भर्ती कराया। इमरजेंसी में हर समय डॉक्टर मौजूद रहते हैं। ओटी में किसी मरीज के देखने की जरूरत पड़ी हो, इसलिए वह ओटी में चले गए हों। भर्ती करने के दौरान पैरा मेडिकल स्टाफ मरीजों की मदद करता है। इलाज डॉक्टर ही करते हैं।