Panipat :- रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ गया है और यह यदि लंबा चला तो टैक्सटाइल नगरी पानीपत को 5000 करोड़ की चपत चपत लगेगी। रूस, यूक्रेन समेत अन्य यूरोपीय देशों से हरियाणा के पानीपत जिले को इतनी कीमत का ऑर्डर मिला है, अब इस पर रद्द होने की तलवार लटक रही है। इतना ही नहीं कच्चे तेल की कीमत बढ़ी तो धागा उत्पादन भी महंगा होगा। नतीजा पूरे टैक्सटाइल उद्योग पर महंगाई की मार भी पड़ेगी। ऐसे में उद्यमियों की चिंता बढ़ गई है। यूक्रेन पूर्वी यूरोप में स्थित एक देश है। इसकी सीमा पूर्व में रूस, उत्तर में बेलारूस, पोलैंड, स्लोवाकिया, पश्चिम में हंगरी, दक्षिण-पश्चिम में रोमानिया और मालदीव से लगती है। इन सभी देशों में पानीपत से टैक्सटाइल उत्पाद जाते हैं।
चीन से बेरुखी का मिल रहा था फायदा
कोरोना काल में चीन से बेरुखी के बाद भारत को फायदा मिला। यूरोपीय देशों से टैक्सटाइल के ऑर्डर की संख्या पानीपत में बढ़ी। इससे हजारों करोड़ रुपए के ऑर्डर पानीपत को मिले, लेकिन अब युद्ध ने इस गति को धीमा किया है।
ग्लोबलाइजेशन में हर देश एक दूसरे पर निर्भर
पानीपत रंग रसायन ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रधान संजीव मनचंदा का कहना है कि युद्ध से अन्य देशों से माल लाने और ले जाने पर असर पड़ेगा। इसका यूरोपियन के साथ-साथ एशियन देशों पर भी असर पड़ेगा। ग्लोबलाइजेशन में हर देश एक दूसरे पर निर्भर है।
निर्यात उद्योगों को नुकसान होने पर घरेलू मार्केट भी प्रभावित होगी। निर्यातकों के बहुत से उद्योग उत्पाद बनाते हैं। वे निर्यातक उद्योगों पर ही निर्भर हैं। ऐसे में अगर नुकसान हुआ तो निर्यातकों को भी हानि उठानी पड़ेगी, इसका असर इंडस्ट्री के हर वर्ग पर पड़ेगा।
पानीपत में रोजाना 2000 टन यार्न की खपत
बापौली जोन इंड्स्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान नवीन बंसल का कहना है कि युद्ध का सीधा असर क्रूड (कच्चे तेल) पर पड़ा है। क्रूड का भाव 100 डॉलर पर बैरल ब्रैंट हो गया है। इस तेजी के कारण पानीपत में खपने वाले पॉलिस्टर यार्न के दामों में आने वाले तीन दिन में 10 रुपए किलो की तेजी आ सकती है। पानीपत में रोजाना 2000 टन पॉलिस्टर यार्न की खपत है।