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स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार

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स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार
Disha Bhoomi

सम्पादक की कलम से –   दुनिया भर में, अरबों लोगों के पास अब भी साफ पानी या पर्याप्त पानी नहीं है। तेजी से बढ़ता जलवायु परिवर्तन जैव विविधता का नुकसान और व्यापक जहरीला प्रदूषण, प्रतिवर्ष 90 लाख लोगों की मौत का कारण बन रहा है। जैव विविधता की हानि का असर हम सभी पर पड़ रहा है। समझने की जरूरत है कि जैव विविधता वास्तव में जीवन का आधार है। यदि ऑक्सीजन पैदा करने वाले पेड़-पौधे नहीं होंगे, तो हम सांस नहीं ले पाएंगे। यदि पानी को स्वच्छ करने वाला पारिस्थितिक तंत्र नहीं होगा, तो मानव जीवन संकट में पड़ जाएगा। यानि हम तिहरे पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहे हैं। सच यह है कि मनुष्य के फलने-फूलने के लिए सुरक्षित और रहने योग्य जलवायु जरूरी है। पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पास करके, स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण तक पहुंच को सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषित किया है। इसी तरह का एक प्रस्ताव, जिनीवा स्थित मानवाधिकार परिषद ने भी, अक्टूबर 2021 में पारित किया था। महासभा ने 2010 में सर्वजन के लिए पानी और स्वच्छता के अधिकार पर पहली बार प्रस्ताव पारित किया था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ये घटनाक्रम दिखाता है कि सदस्य देश, हमारे तिहरे पृथ्वी संकटों-जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता की हानि और प्रदूषण का सामना करने के लिये एकजुट हो सकते हैं। यह प्रस्ताव एक स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण के अधिकार को, मानवाधिकार हासिल करने के लिए एक अतिआवश्यक मानव अधिकार के रूप में मान्यता देता है, और सभी देशों व अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों से नीतियां अपनाने एवं और सर्वजन के लिये स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ वातावरण सुनिश्चित करने के प्रयासों को बढ़ावा देने का आहवान करता है। भारत सहित संयुक्त राष्ट्र के 160 से अधिक सदस्य देशों द्वारा अपनाई गई घोषणा कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है। लेकिन यह देशों को राष्ट्रीय संविधानों और क्षेत्रीय संधियों में स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार को शामिल करने के लिये प्रोत्साहित करेगा। मानवाधिकार और पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर डेविड बॉयड के अनुसार, यूएन महासभा का ये निर्णय अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून की मूल प्रवृत्ति ही बदल देगा। इससे जीवन की गुणवत्ता बढ़ेगी और सुधरेगी।लोगों को एक ऐसे पर्यावरण का बुनियादी अधिकार है जिसमें गरिमापूर्ण जीवन यापन और रहन-सहन संभव हो। कहा जा सकता है सरकारों की जवाबदेही तय करने के लिए एक स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार, सबसे शक्तिशाली साधनों में से एक है। सरकारों ने दशकों से पर्यावरण को साफ करने के वायदे किए हैं। लेकिन एक स्वस्थ पर्यावरण का मौलिक अधिकार लोगों के दृष्टिकोण को बदल देगा। वे अधिकारपूर्वक कार्रवाई की मांग कर सकेंगे। समाज को प्रदूषण-मुक्त करना ज़रूरी है। इसके लिए समाज में परिवर्तनशील बदलावों की आवश्यकता है।

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