मोदीनगर। कोरोना संक्रमण की वजह से स्कूल, कॉलेज और तकनीकी संस्थानों में ऑनलाइन पढ़ाई जारी है। छात्र-छात्राएं मोबाइल, टेबलेट, लैपटॉप व कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह व्यवस्था संक्रमण काल में घर बैठे पढ़ाई के लिहाज से बेहतर है, लेकिन इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। अमूमन दो से तीन घंटे की ऑनलाइन कक्षाओं से छात्रों में डिजिटल आई सिंड्रोम की समस्या होने लगी है। उनकी पुतलियों के ऊपर आंसुओं की परत सूख जा रही है।
यह समस्या लगातार मोबाइल, लैपटॉप, टेबलेट देखने से होती है। यंहा नीजी नेत्र रोग विशेषज्ञों के अस्पतालों में रोजाना 10 से 15 केस डिजिटल आई सिंड्रोम के आ रहे हैं। इनमें आधे से अधिक संख्या स्कूली छात्रों की होती है, जबकि एक तिहाई संख्या इंजीनियरिंग, मेडिकल या अन्य विषयों के छात्रों की है। आंखों में जलन, दर्द, पानी आना, धुंधला दिखाई देना, नजर कमजोर होने की समस्या मिल रही है।
मोबाइल से ज्यादा दिक्कतें: नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅॅ0 मोहित अग्रवाल ने बताया कि मोबाइल से ज्यादा दिक्कतें हैं। कारण, एक तो उसका छोटा आकार है, दूसरा बच्चे पढ़ाई के साथ ही ऑनलाइन गेम खेलने या फिर कार्टून देखने लग जाते हैं। स्क्रीन के छोटे आकार की वजह से उनकी आंखों और पुतलियों पर ज्यादा असर पड़ता है।
20-20 का फार्मूला कारगर: चिकित्सकों के मुताबिक समस्या से बचने के लिए 20-20 का फार्मूला अपनाना चाहिए। 20 मिनट स्क्रीन पर देखने के बाद 20 फीट की दूरी पर कम से कम 20 सेकेंड तक देखना चाहिए। इससे आंखों पर पडने वाला दबाव कम हो जाता है।
पढ़ाई के लिए निश्चित हो दूरी: नेत्र रोग विशेषज्ञों का मानना है कि पढ़ाई करते समय मोबाइल, लैपटॉप, टेबलेट की निश्चित दूरी होनी चाहिए। प्रारंभिक समस्या होने पर डाक्टरों को तुरंत दिखाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *