गाजियाबाद। जिला कोर्ट में अब नियमित सुनवाई शुरू हो गई है। कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के बाद नोएडा प्राधिकरण के करोड़ों रुपये के घोटाले में अब फिर से गवाही शुरू हो गई है। अदालत में गवाही के लिए प्राधिकरण के डिप्टी जनरल मैनेजर आरपी सिंह पेश हुए। बचाव पक्ष ने आरपी सिंह से जिरह की। अदालत ने जिरह जारी करते हुए 27 जुलाई की तारीख लगा दी है। प्राधिकरण घोटाले में 2018 से गवाही शुरू हो चुकी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण बढ़ने पर दो बार लॉकडाउन लगने से सुनवाई प्रभावित हुई थी। अब स्थिति सामान्य होने के बाद अब फिर से प्राधिकरण घोटाले में जिरह शुरू हुई है।

सीबीआई ने 30 जुलाई को 2015 को 1000 करोड़ रुपये के टेंडर घोटाले में यादव सिंह समेत 11 लोग और 3 कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया था। इसके बाद 3 फरवरी 2016 को उसे गिरफ्तार कर लिया था। जांच के बाद यादव सिंह, उसके बेटे सनी यादव और पत्नी कुसुमलता, पुत्रवधू श्रेष्ठा सिंह और दोनों बेटियों के खिलाफ भी आय से अधिक संपत्ति के मुकदमे दर्ज किए गए। केबल घोटाले का भी यादव सिंह और उसके सहयोगियों के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया था।

सीबीआई ने 50 लाख से अधिक का नुकसान पहुंचाने में नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन चीफ इंजीनियर यादव सिंह के साथ नोएडा अथॉरिटी के 11 अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। दूसरी चार्जशीट: 33 केवी लाइन बिछाने में हुई 54 लाख 28 हजार की गड़बड़ी में सीबीआई की चार्जशीट सीबीआई ने दूसरी चार्जशीट में भी यादव सिंह के साथ नोएडा अथॉरिटी के 10 अफसरों और निजी कंपनी के खिलाफ लगाई चार्जशीट दाखिल की हैं।
चार्जशीट-3 में यादव सिंह समेत 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है। सीबीआई ने बताया कि यादव सिंह के इशारे पर वर्ष 2007 से लेकर 12 तक जावेद अहमद की गुल इंजीनियरिंग कंपनी को इलेक्ट्रिकल वर्क के करोड़ों रुपये के टेंडर गलत तरीके से छोड़े गए थे। इसमें जावेद अहमद और यादव सिंह समेत शामिल लोगों ने घोटाला किया था। वर्ष 2014 में भी यादव सिंह के इशारे पर जावेद अहमद की गुल इंजीनियरिंग कंपनी को करोड़ों के टेंडर दिए गए थे।

सीबीआई के मुताबिक तीनों चार्जशीट में यादव सिंह और उसका सहयोग करने वाले लोगों को आरोपी बनाया गया है। चार्जशीट में यादव सिंह, जावेद अहमद और उसकी गुल इंजीनियरिंग कंपनी समेत 13 इंजीनियरों को आरोपी बनाया है। चार्जशीट 2 में यादव सिंह समेत 12 लोगों के नाम हैं। 29 निजी फर्मों को पहुंचाया था लाभयादव सिंह 2007 से 2012 तक नोएडा अथॉरिटी में चीफ इंजीनियर के पद पर रहे। इस दौरान उन्होंने 29 निजी फर्मों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से करोड़ो रुपये के टेंडर पास किए। इन 29 फर्मों में कुछ उनके करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों के नाम भी रहे। इस मामले में यादव सिंह समेत 11 लोगों को और 3 कंपनियों को आरोपी बनाया गया है। इसके बाद ईडी ने भी यादव सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद 17 जनवरी 2018 को सीबीआई ने जांच करते हुए मुकदमा दर्ज किया था।

 

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