गाजियाबाद। एक तरफ पैरोल जंप कर पिछली साल से फरार चल रहे 7 बंदियों को सरगर्मी से तलाशा जा रहा है तो वहीं सरेंडर करने जेल पहुंचे 13 बंदियों को कस्टडी में लेने से इंकार कर दिया गया। जेल प्रशासन ने बंदियों से कहा कि वह अभी कुछ दिन और आजाद रह लें। यह बात सुन बंदियों की बांछें खिल गईं और खुशी-खुशी घर लौट आए। जेल प्रशासन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पैरोल पर रिहा बंदियों को राहत देते हुए अभी उन्हें जेल में लेने से इंकार किया है। प्रदेश की अधिकांश जेलों में निर्धारित क्षमता का तुलना में दो से तीन गुना अधिक बंदी बंद हैं। गाजियाबाद की डासना जेल में भी निधार्रित 1700 बंदियों की अपेक्षा करीब साढ़े 4 हजार बंदी बंद हैं। जेलों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट व शासन ने सात साल से कम सजा वाले बंदियों को पैरोल व अंतरिम जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे। इसी के तहत डासना जेल से सिद्धदोष बंदियों को 60 दिन की पैरोल तथा विचाराधीन बंदियों को 60 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था। दो माह की पैरोल व अंतरिम जमानत की अवधि खत्म होने के बाद बंदियों ने अब जेल लौटना शुरू कर दिया है। बीते तीन दिन में विभिन्न अपराधों में शामिल 13 बंदी जेल पहुंचे, जिन्हें कस्टडी में लेने से इंकार कर दिया गया।

बंदी बोले, जेल में रोटी तो वक्त पर मिल जाती है साहब जेल प्रशासन के मुताबिक तीन दिन में 13 बंदी आत्मसमर्पण करने डासना जेल पहुंचे। इनमें से छह बंदी चोरी, दो बंदी मारपीट और पांच बंदी धोखाधड़ी के मामले थे। जेल में लेने से इंकार करने पर दो बंदियों ने गिड़गिड़ाने लगे। उन्होंने कहा कि बाहर तो खाने की लाले पड़े हैं। जेल में कम से कम दो वक्त की रोटी तो समय पर मिल जाती है। लिहाजा उन्हें जेल में ले लिया जाए। जहां भी हस्ताक्षर कराने हों, वह करने को तैयार हैं।
सात फरार बंदियों की तलाश जेल अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल कोरोना काल के दौरान 66 बंदी पैरोल पर रिहा किए गए थे। इनमें से 10 बंदी पैरोल खत्म होने के बाद भी नहीं लौटे। संबंधित जिलों व प्रदेशों की पुलिस से पत्राचार करने पर तीन बंदी लौट आए, लेकिन सात बंदी अभी तक नहीं लौटे हैं। इनकी गिरफ्तारी के लिए संबंधित पुलिस से जेल प्रशासन द्वारा पत्राचार किया जा रहा है। कोरोना काल में पैरोल पर छोड़े गए बंदियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल में आदेश दिया है कि अग्रिम आदेशों तक बंदियों को जेल में न लिया जाए। इस आदेश के अनुपालन में बंदियों को वापस भेजा जा रहा है। अग्रिम आदेश मिलने के बाद उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।

 

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