गाजियाबाद। सीबीआई ने फ्लैट बेचने के नाम पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने वाले शराब कारोबारी व डिस्कोथेक चलाने वाले बिल्डर बाबा उर्फ सचिन दत्ता सहित 32 को आरोपी बनाते हुए सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी है। इस मामले में अदालत ने संज्ञान लेते हुए आरोपियों को समन जारी किया है। सीबीआई कोर्ट के जज रविंद्र प्रसाद गुप्ता ने सचिन की जमानत अर्जी खारिज की थी।
सीबीआई के अनुसार क्रॉसिंग रिपब्लिक सोसायटी में एक टॉवर के 16वें मंजिल पर बने कई फ्लैट बेचने और खरीदने के लिए करोड़ों रुपये का लोन कराने का आरोप है। जांच में सीबीआई ने पाया है कि टावर के 16वीं मंजिल पर कोई फ्लैट ही नहीं बनाया गया था और करोड़ों रुपये का पंजाब नेशनल बैंक से लोन करा लिया था। मुख्य आरोपी सचिन दत्ता उर्फ बिल्डर बाबा की कंपनी मैसर्स बालाजी हाईटेक सोसाइटी इंफ्रा कंपनी ने वर्ष 2010 से 2012 के बीच क्रॉसिंग रिपब्लिक सोसाइटी में टॉवर का निर्माण किया था। सीबीआई के आरोप पत्र में आरोपियों पर और भी गंभीर आरोप है। इसमें बाबा की कंपनी एवं पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व अधिकारी बीएल मीना पर टावर के 16 वें मंजिल पर फ्लैट खरीदने और करोड़ों रुपये के लोन कराने का आरोप है। अदालत से मिली जानकारी के अनुसरा सीबीआई ने विवेचना के बाद आरोप पत्र पेश किया है। विशेष अदालत ने करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले में पेश आरोप पत्र पर संज्ञान लेकर आरोपियों के खिलाफ समन भी जारी किया है।

आरोपी सचिन 28 जुलाई 2015 को बागंबरी मठ, इलाहाबाद में एक समारोह में अखाड़ा परिषद् की ओर से महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी। बाद में उसे सचिदानंद गिरी महाराज का नाम दिया गया। महज 36 साल की उम्र में सचिन दत्ता उर्फ बिल्डर बाबा 200 करोड़ की प्रॉपर्टी का मालिक बन चुका था। वह नोएडा के सेक्टर -18 स्थित सेंटर स्टेज मॉल में ‘क्वांटम द लीप’ नाम से डिस्को कम बार भी चलाता था।
11.30 करोड़ रुपये ठगी का भी चल रहा है मामला
आनंद विहार निवासी नरेंद्र बरमेचा ने पुलिस को बताया था कि 2011 में उसकी मुलाकात आरोपी सचिन दत्ता, उसकी मां तृप्ता, पिता आरके दत्ता से हुई। सचिन उस समय बिल्डर बाबा व बालाजी कंस्ट्रेक्शन के मालिक के रूप में जाना जाता था। इन सब के जरिये उसकी मुलाकात नत्थू त्यागी और उसके बेटे सचिन त्यागी से हुई। यह सारे लोग मानकपुर, नोएडा में कोई प्रोजेक्ट चला रहे थे। नरेंद्र को इस प्रोजेक्ट में पार्टनर बनाकर उससे 11.30 रुपये ठगे गए। मामले की शिकायत के बाद 16 नवंबर 2015 को दिल्ली के ईओडब्ल्यू थाने में ठगी का मामला दर्ज हुआ था। मई 2016 में कड़कड़डूमा कोर्ट ने ठगी के मामले में सचिन को भगोड़ा घोषित कर दिया था।

 

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