दिल्ली पुलिस ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लैटफॉर्म ‘जूम’ (Zoom) से उन लोगों की जानकारी मांगी है, जिन्होंने 11 जनवरी की बैठक में खालिस्तानी ग्रुप द्वारा कथित तौर पर किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए ‘टूलकिट’ (Toolkit) तैयार करने के लिए एक मीटिंग की थी।
पुलिस ने आरोप लगाया है कि मुंबई की वकील निकिता जैकब और पुणे के इंजीनियर शांतनु उन 70 लोगों में शामिल थे, जो राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस की हिंसा से कुछ दिन पहले जूम ऐप के जरिए बैठक में शामिल हुए थे, जिसमें 500 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए थे और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप जूम से 11 जनवरी को बैठक में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की जानकारी मांगी है। ज्वॉइंट पुलिस कमिश्नर (साइबर) प्रेम नाथ ने सोमवार को आरोप लगाया था कि शांतनु द्वारा बनाया गया ई-मेल अकाउंट इस गूगल डॉक्यूमेंट का मालिक है।
प्रेम नाथ ने कहा कि खालिस्तान समर्थक ग्रुप पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) के संस्थापक मो धालीवाल ने पुनीत नाम की कनाडा की एक महिला के माध्यम से जैकब और शांतनु से संपर्क किया था।
उन्होंने कहा कि निकिता और शांतनु ने 11 जनवरी को पीएफजे द्वारा आयोजित एक जूम मीटिंग में भाग लिया था, जिसमें 26 जनवरी को ‘वैश्विक किसान हड़ताल’ और ‘ग्लोबल डे ऑफ एक्शन के तौर तरीकों वाले शीर्षक से ‘टूलकिट’ बनाने का फैसला किया गया था।
वहीं, दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव ने कहा कि जहां तक दिशा रवि की गिरफ्तारी का सवाल है, यह प्रक्रियाओं के अनुसार की गई थी। कानून 22 साल के युवा और 50 साल के बुजुर्ग के बीच अंतर नहीं करता है। उसे अदालत में पेश किया गया, जिसने उसे 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। यह गलत है, जब लोग कहते हैं कि गिरफ्तारी में चूक हुई।