चिपचिपी गर्मी में डायरिया के मामले बढ़ने लगे हैं। इससे बच्चे और बुजुर्ग अधिक पीड़ित हैं। जिला एमएमजी और संयुक्त अस्पताल में प्रतिदिन साठ से 70 बच्चे उल्टी-दस्त की शिकायत के आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उमस वाली गर्मी में सामान्य तौर खाने-पीने की चीजें संक्रमित हो जाती हैं। जिला अस्पताल में ओपीडी के अलावा इमरजेंसी में भी रोजाना 10 से 15 बच्चों को डायरिया की शिकायत होने पर उपचार दिलाया जा रहा है। कि जो दूषित खान-पान और गंदे पानी के प्रयोग से डायरिया और पेट दर्द की चपेट में आने पर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी तिवारी का कहना है कि गर्मी में तला-भुना या अपाच्य भोजन खाने से उल्टी और दस्त की समस्या शुरू हो जाती है। कई बार गर्मी की वजह से भी यह दिक्कत होती है। अगर समय पर उपचार न मिले तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। डॉ. शालिनी का कहना है कि बीमार होने पर डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लें। खानपान का रखें ख्याल

इस मौसम में बच्चों के खानपान का विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है। रात का रखा भोजन और कटे हुए फल आदि का सेवन न करें। बाजार की तली-भुनी चीजों को खाने से परहेज रखें। अपाच्य भोजन ही डायरिया की वजह बनता है।  इसलिए बच्चों को कुछ भी खाने-पीने की चीजें देने से पहले उनकी जांच कर लें। इसलिए खाने-पीने की चीजों में लापरवाही न करें। न होने दें पानी की कमी फिजिशियन डॉ. आरसी गुप्ता का कहना है कि उल्टी और दस्त में शरीर में पानी की कमी होने लगती है। जिससे शरीर पूरी तरह से शिथिल और बेजान हो जाता है। ऐसी स्थिति होने पर बच्चों को ओआरएस का घोल दें। वयस्क इस समस्या से बचने के लिए दिन भर में कम से कम पांच से छह लीटर पानी का सेवन करें।

 

 

 

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