बुलंदशहर। कोराना के वक्त में किसानों एवं अन्य तबकों के कुछ लोगों के सामने जमीन, मकान और प्लॉट आदि तक बेचने की नौबत आ गई। कोरोना से पहले और बाद के एक साल के बैनामों के आंकड़े इसकी पुष्टि कर रहे हैं। वर्ष 2019-20 में जनपद की सभी सातों तहसील में 38143 बैनामे हुए। दूसरी तरफ वित्तीय वर्ष 2020-21 में 41814 बैनामे हुए। यानी वर्ष 2020-21 में 3671 बैनामे अधिक हुए। यही वह समय था जब कोरोना की वजह से लॉकडाउन तक की भी नौबत आई। स्टांप विभाग के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 के बीच 43 हजार लोगों से जमीन या मकान बेचे। वहीं इसके पहले वित्त वर्ष 2019-20 में कुल 31562 लोगों ने अपनी जमीन व प्लॉट आदि बेचे थे। बेटे के इलाज के लिए मां को बेचना पड़ा घर नयागांव हीरापुर निवासी कमोद सिसौदिया पत्नी स्व. कैलाश सिंह छोटे मोटे काम करके अपना परिवार पालती हैं। कमोद बताती हैं कि बेटा अरुण प्राइवेट नौकरी करता था। कोरोना संक्रमण के कारण न केवल उनका काम बंद हुआ, बल्कि बेटे की भी नौकरी चली गई। बेटा अप्रैल 2021 में कोरोना की चपेट में आ गया। इलाज के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए जिगर के टुकड़े की जान बचाने के लिए जिंदगी भर की कमाई जोड़कर बनाया घर बेचना पड़ा
पुत्रवधू के उपचार के लिए बेची खेती की जमीन चोला क्षेत्र के गांव जगतपुर सुल्तानपुर निवासी ओमप्रकाश शर्मा किसान हैं। ओमप्रकाश बताते हैं कि पत्नी शशि शर्मा ेका ऑपरेशन कराना पड़ा। लॉकडाउन में कारण बेटों की की प्राइवेट नौकरी भी चली गई। नवंबर में बेटे आशीष की पत्नी प्रिया और दिसंबर में दूसरे बेटे मोहित की पत्नी कमला की डिलीवरी ऑपरेशन से हुई। कमला की सेहत डिलीवरी के बाद और खराब हो गई, जिसके चलते कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रखना पड़ा। लगातार बीमारी पर खर्चा होने के कारण एक बीघा कृषि योग्य जमीन बेचनी पड़ी।
निबंधन विभाग के राजस्व में हुई बढ़ोत्तरी वित्त वर्ष 2019-20 में हुए कुल 38143 बैनामा से निबंधन विभाग को दो अरब 48 करोड़ दो लाख 10 हजार रुपये का राजस्व मिला था। जबकि वर्ष 2020-21 में विभाग को दो अरब 51 करोड़ 75 लाख 15 हजार का राजस्व मिला। जो वित्त वर्ष 2019-20 से करीब तीन करोड़ रुपये अधिक है।
वर्ष 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में जमीन, मकान, प्लॉट अधिक संख्या में बेचे गए हैं। इससे विभाग को भी स्टांप और निबंधन शुल्क के तौर पर आय हुई है। लोगों ने किस कारण जमीन आदि की बिक्री की है, इसकी जानकारी नहीं है। – सुनील कुमार, एआईजी स्टांप