कोरोना महामारी के मद्देनजर करीब एक साल बाद उच्च न्यायालय की सभी पीठ ने 15 मार्च से मामलों की पारंपरिक तरीके (अदालत में पेश होकर आमने-सामने बहस) से सुनवाई शुरू करने का फैसला किया है। यह फैसला उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ (सभी जजों की पीठ) ने किया है। न्यायालय में फिलहाल हाइब्रिड प्रणाली से मुकदमों की सुनवाई हो रही है। इस प्रणाली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के अलावा अदालत में पेश होकर भी मामलों की सुनवाई हो रही है।

उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल मनोज जैन ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि 15 मार्च से उच्च न्यायालय की सभी पीठ पूरी तरह से मामलों की भौतिक/पारंपरिक तरीकों से सुनवाई करेगी। मौजूदा प्रणाली से 12 मार्च तक मामलों की सुनवाई जारी रहेगी। इसके बाद 15 मार्च से उच्च न्यायालय की सभी पीठ पहले की तरह मामलों की पारंपरिक तरीके से सुनवाई करेंगी। बता दें, कोरोना महामारी के मद्देनजर उच्च न्यायालय ने 25 मार्च 2020 से अदालती कामकाज सीमित कर दिया था। इस दौरान उच्च न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सिर्फ जरूरी और आवश्यक मामलों की सुनवाई शुरू की थी।

उच्च न्यायालय ने कहा है कि विशेष परिस्थिति और आग्रह पर ही किसी मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समय और संसाधन की उपलब्धता के आधार पर की जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने 22 फरवरी से 26 मार्च तक के लिए सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई 15 अप्रैल से 25 मई 2021 के बीच करने का निर्णय लिया है।

उच्च न्यायालय ने कहा है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए दिल्ली सरकार द्वारा जारी निर्देशों का सख्ती से सभी को पालन करना होगा। मामलों की नियमित सुनवाई के दौरान अदालत में प्रवेश के लिए कोरोना नियमों का पालन किया जाए।

दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव अधिवक्ता अभिजात ने 15 मार्च से उच्च न्यायालय में मामले की नियमित सुनवाई के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने पहले ही प्रस्ताव पास करके उच्च न्यायालय से मामलों की पूरी तरह से नियमित सुनवाई शुरू करने का आग्रह किया था।

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