दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कड़ी टिप्पणी करते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई (CBSE) को छात्र विरोधी बताया है। न्यायालय ने कहा कि यह कुछ मामलों में सभी छात्रों को सर्वोच्च न्यायालय में घसीट कर उनसे दुश्मन के रूप में व्यवहार कर रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस छात्र विरोधी रवैये के लिए सीबीएसई को फटकार भी लगाई है।
छात्र पढ़ाई करे या अदालत जाए
पीठ ने कहा, हम सीबीएसई के इस छात्र-विरोधी रवैये को पसंद नहीं कर सकते हैं। आप छात्रों को सर्वोच्च न्यायालय में घसीट रहे हैं। क्या उन्हें पढ़ाई करनी चाहिए या अदालत जाना चाहिए? हमें सीबीएसई से मामले की लागत वसूलना शुरू करना चाहिए। पीठ ने कहा, वे छात्रों को दुश्मन मान रहे हैं। पीठ ने आगे कहा कि अगर यह सुधार योजना सभी छात्रों पर लागू होती है, तो इसमें नुकसान क्या है? गौरतलब है कि एकल न्यायाधीश ने 14 अगस्त को कहा था कि कोविड-19 महामारी के आलोक में सीबीएसई परीक्षा रद्द करने के कारण छात्रों का आकलन करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुमोदित योजना उन छात्रों पर भी लागू होगी, जो सुधार परीक्षाओं के लिए उपस्थित हुए थे, क्योंकि वे समान रूप से प्रभावित थे।
ये है पूरा मामला
बता दें कि 14 अगस्त का आदेश एक छात्र संयम गुप्ता की याचिका पर आया था, जो फरवरी-मार्च 2018 में आयोजित सीबीएसई कक्षा 12 की परीक्षा में उपस्थित हुए था और 95.25 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। इसके बाद, उसने अपने स्कोर में सुधार करने के लिए उसने एक साल ड्रॉप कर 2019 में फिर से अपीयर होने का फैसला किया। इसमें 24 मार्च को Business Studies का पेपर कोरोना लॉकडाउन के कारण रद्द हो गया था। इस पर छात्र ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाकर उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुमोदित मूल्यांकन सुधार योजना के तहत आकलन की मांग की थी।
अब 05 फरवरी, 2021 को होगी सुनवाई
इस पर 14 अगस्त, 2020 को उच्च न्यायालय ने सीबीएसई को छात्र को सही मार्कशीट जारी करने का निर्देश दिया। जिससे उसने दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में दाखिला भी ले लिया। लेकिन अब सीबीएसई ने एकल न्यायाधीश के उस फैसले को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने मामले को 05 फरवरी, 2021 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। साथ ही छात्र को नोटिस जारी सीबीएसई की याचिका पर उसका जवाब भी मांगा है।