मुरादनगर
एक और जहां रक्षाबंधन की खुशियां मनाई गई। वहीं एक गांव सुराना ऐसा भी है, जहां रक्षाबंधन को लोग अपशगुन मानते हैं। यहां इस बार भी भाइयों की कलाई सूनी रहीं। ग्रामीण बताते हैं कि मोहम्मद गौरी ने गांव पर हमला कर दिया था। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं विधवा हो गई थी। डर के कारण लोग गांव छोड़कर चले गए थे। इस बीच छाबड़िया गोत्र की दो महिलाओं ने दोबारा से हिम्मत दिखाकर गांव में आकर रहना शुरू किया। यादव बाहुल सुराना में अब करीब 20,000 की आबादी रहती है। बताया जाता है कि रक्षा बंधन के दिन ही मोहम्मद गौरी ने गांव पर हमला किया था। उस दिन लोगों ने रक्षाबंधन नहीं मनाया था। इसके बाद से यहां रक्षाबंधन नहीं बनाने की परंपरा चल गई। ग्रामीण बताते हैं कि कुछ लोगों ने रक्षाबंधन को मनाने की परंपरा को शुरू करना चाहा तो उनके यहां अनहोनी हो गई। इसके बाद लोग रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाते हैं। । ग्रामीणों की मानें तो राजस्थान में यदुवंशियों ने पृथ्वीराज चौहान का साथ दिया था। उस परिवार के कुछ लोग बाद में सुराना में आकर रहने लगे थे। इसी खुन्नस में मोहम्मद गौरी ने लोगों को यहां आकर निशाना बनाया। रक्षाबंधन पर यहां भाइयों की कलाई हमेशा सुनी ही रही हैं।