दिल्ली पुलिस अब थानों व यूनिटों में कानूनी सलाहकार रखने जा रही है। ये कानूनी सलाहकार महत्वपूर्ण केस में जांच अधिकारियों की सुबूत एकत्रित करने, केस को कोर्ट में प्रस्तुत करने, जमानत याचिका का जवाब देने और चार्जशीट तैयार और कोर्ट में केस लड़ने में सहायता करेंगे।

इससे जांच की गुणवत्ता में सुधार आएगा। इसके लिए साक्षात्कार प्रक्रिया मंगलवार से शुरू कर दी गई है। दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी कानूनी सलाहकार रखने की प्रक्रिया को अहम व बड़ा फैसला बता रहे हैं, क्योंकि दिल्ली पुलिस के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने इसकी अनुमति दे दी है।

दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने एक बड़ा फैसला लिया है। दिल्ली पुलिस अब हर थाने, स्पेशल सेल, अपराध शाखा व आर्थिक अपराध शाखा समेत अन्य यूनिटों में कानूनी सलाहकार रखने जा रही है। उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस में कुल 53 सब-डिवीजन हैं।

इस हिसाब से हर एक सब-डिवीजन में एक कानूनी सलाहकार रखा जाएगा। सब-डिवीजन का प्रभारी सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) होता है और उसके तहत दो से तीन थाने आते हैं। कानूनी सलाहकार के लिए कानून की डिग्री होना जरूरी है। फिलहाल इनको दो वर्ष के लिए अनुबंध पर रखा जाएगा।

पुलिस आयुक्त ने बताया कि कानूनी सलाहकारों के लिए दिल्ली पुलिस में करीब 1200 वकीलों ने आवेदन किया है। वकीलों के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया मंगलवार से शुरू हो गई है। साक्षात्कार के बाद इनमें से 75 वकील रखे जाएंगे। इनमें से 53 कानूनी सलाहकार सब-डिवीजनों में रखे जाएंगे, बाकी 22 कानूनी सलाहकार दिल्ली पुलिस की अन्य यूनिटों में रखे जाएंगे।

उन्होंने बताया कि ये कानूनी सलाहकार महत्वपूर्ण केस में जांच अधिकारियों की सुबूत एकत्रित करने, केस को कोर्ट में प्रस्तुत करने, जमानत याचिका का जवाब देने, चार्जशीट तैयार और केस लड़ने में मदद करेंगे। पुलिस आयुक्त मानते हैं कि कई बार साक्ष्यों के अभाव व जांच ठीक से नहीं होने से आरोपी कोर्ट से बरी हो जाता है। कानूनी सलाहकार रखने से आरोपियों को मिलने वाली सजा का प्रतिशत बढ़ेगा।

 

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