हर वर्ष 29 अगस्त का दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक और हॉकी के निर्विवाद सर्वकालिक उम्दा खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त को ही हुआ था। इसी मौके पर विपिन प्रियंका प्रोडक्शन के द्वारा एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमे यह बात निकल कर सामने आयी की तमाम रस्म अदायगी वाले कार्यक्रमों से इतर देश में खेलों की स्थिति का आकलन करना उपयोगी होगा।
विपिन प्रियंका प्रोडक्शन के चेयरमैन डॉ विपिन अग्निहोत्री ने इस मौके पर कहा की खेल मानव संस्कृति और सभ्यता के अभिन्न अंग हैं। प्रथमदृष्टया खेल भले ही शारीरिक एवं मानसिक स्पर्धा का माध्यम लगते हों, लेकिन वास्तव में ये कुछ वांछित विशेषताओं को साकार रूप देते हैं। ऐसे में खेलों को मानवीय उत्कृष्टता का प्रतिमान मानना उचित ही होगा। मौजूदा दौर में पक्षपात और पूर्वाग्रह जैसे भाव जहां जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को दूषित कर रहे हैं वहां खेल प्रवीणता एवं योग्यता के दुर्लभ पर्याय बने हुए हैं। मौजूदा डिजिटल दौर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग का वर्चस्व बढ़ने की आशंका है।
स्वस्थ एवं खुशहाल समाज का निर्माण
आज ऐसे अभिभावकों की भरमार है जो चिंतित रहते हैं कि उनके बच्चे खेल के मैदान की तुलना में मोबाइल-कंप्यूटर पर ज्यादा खेल रहे हैं। मैदानी खेल के स्वाभाविक फायदों के बारे में चर्चा की जितनी आवश्यकता आज है, उतनी शायद पहले कभी नहीं रही। खेलने-कूदने वाला समाज ही स्वस्थ और तंदुरुस्त समाज होता है। वैसे भी स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता एक दूसरे के पूरक हैं। स्वस्थ एवं खुशहाल समाज के निर्माण में खेलों की महत्वपूर्ण भूमिका है।