Modinagar। मच्छरों ने लोगों की नींद हराम कर रखी है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभी तक मच्छरों को मारने के लिए कोई इंतजाम शुरू नहीं किया। शहर से लेकर गांव तक परेशान लोग अपने खर्च से ही मच्छरों मारकर चैन की नींद सोने की कोशिश कर रहे है।
मच्छरों से डेंगू व मलेरिया के बीमारी फैल रही
हर साल मौसम बदलते ही मच्छरों का प्रकोप शुरू हो जाता है। इन्हीं मच्छरों की वजह से जानलेवा डेंगू और मलेरिया तक फैल जाते हैं। हर साल कई लोग इसके शिकार भी हो जाते हैं। स्वास्थ्य में संचारी रोग समाप्त करने के लिए अभियान चलाया जाता है। इसमें लोगों को जागरूक भी किया जाता है लेकिन यह अभियान सिर्फ फाइलों तक सिमट कर रह जाता है। इस बार भी शायद यही हो रहा है।
सफाई न होने की वजह से पनपते मच्छर
शहर, कस्बों व देहात में जलभराव एक बड़ी समस्या है। सभी जगह पक्के नाला, नालियां न होने से गंदा पानी भरा रहता है। कुछ स्थानों पर गड्डे भी होते हैं। यहां पर पानी भरा होने से मच्छर पनपते हैं। इसकी मूल वजह यह है कि गंदे पानी निकासी के न तो शहरों में पर्याप्त इंतजाम हैं और न ही कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में।
अभी तक नहीं छिड़की गई मच्छरमार दवा
मार्च महीना समाप्त होने जा रहा है। मच्छरों का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में शहर से लेकर गांव तक मच्छरों के हमले से लोगों की रात की नींद हराम हो रही है।
खुद कर रहे इंतजाम
मच्छरों को मारने के लिए लोग मच्छरदानी के अलावा क्वाइल, लोशन के अलावा लिक्विड मच्छरमार दवा और अन्य तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं। क्वाइल और लिक्विड मच्छरमार दवाएं जहरीले रसायनों से तैयार होती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सांस के जरिए ये जहरीले रसायन हमारे शरीर के अंदर नुकसान पहुंचा रहे हैं।
मच्छरों का प्रकोप रोकने के लिए नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी है। रोस्टर के हिसाब से दवाओं का छिड़काव विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है कि वे आसपास पानी न जमा होने दें।इस संबन्ध में पालिका अधिकारियों का तर्क है कि शीघ्र ही मच्छरमार दवा का छिडकाब कराया जायेंगा। इसके लिए तैयारियां कर ली गई है।