मोदीनगर। पहले चरण के लिए मतदान के लिए चुनाव प्रचार खत्म हो गया है और प्रशासन ने भी मतदान को लेकर अपनी तैयारियां पूरी कर ली है। 1 महीने से चुनाव प्रचार के दौरान दिन रात दौड धूप में जुटे प्रत्याशी अपने-2 खेमों में बैठकर धकान उतार रहे है।आम दिनांे में जिन लोगों के मुंह से नेताजी सुनकर इठलाते हैं, वही आज वोट देकर उनके भाग्य के भाग्य विधाता बनेंगे। लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता जहां समाज के आखिरी छोर पर खडा व्यक्ति पूरे तंत्र के संचालन के लिए मतदान करके अपनी भागीदारी तय करता करता है। यदि एक बार जनता जर्नादन की नजरे इनायत हो गई तो 5 वर्षो के लिए विधान सभा में प्रवेश मिल जाएगा, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में जिस तरह से राजनैतिक चेतना का विकास हुआ है। उसके सामने राजनेताओं के हथकंडे निष्फल सि़द्ध होते हैं। और जनता जाति धर्म के मुद्दों को धता बताकर भ्रष्टाचार जातिवाद की जड़ांे पर प्रहार करती है। जिस देश की आधी से अधिक जनसंख्या 18 से 40 के बीच हो वहां दकियानूसी मुद्दों के आधार पर जनता के समर्थन की आशा करना बेमानी है। इसी का प्रमाण है वर्तमान विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान अधिकतर राजनीतिक दलों ने मंडल और कमंडल जैसे मुद्दों को उठाने से परहेज किया है। और अधिकतर दलों ने अपनी पार्टियों के चेहरा और उम्मीदवारों की छवि के नाम पर वोट मांगे हैं।
मतदान प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद में प्रशासन
मतदान प्रतिशत के लिहाज से पिछडे क्षेत्रों में शुमार मोदीनगर विधानसभा में मतदान प्रतिशत को बढाने के लिए चुनाव आयोग के साथ प्रशासन ने भी युद्धस्तर पर प्रयास किए है। आचारं संहिता के लागू होने से पूर्व ही उपजिलाधिकारी शुभांगी शुक्ला ने तहसील स्तर पर अधिकारियो और बीएलओ को मतदान प्रतिशत बढाने के लिए निर्देश दिए थे। तभी तो समाजसेवी सस्थाओ के साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने भी रैलियां और नुक्कड़ सभाओं के माध्यम ये लोगों से मतदान करने की अपील की। चुनावी ड्यूटी की व्यस्ताओं के बाद भी प्रशासन ने जिस प्रकार से प्रयास किए हैं। उसके आधार पर अधिकारियों को आशा है कि इस बार चुनावों मे लोग अधिक संख्या में घर से निकलकर मतदान केन्द्र तक पहुंचेगे।