modinagar सोमवार को कई महीने बाद स्कूल, काॅलेजों में रौनक लौट आई। कोरोना महामारी के चलते इन्हें कई महीने से बंद कर रखा था। पहले दिन विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या कम रही। विद्यार्थियों की संख्या कम रहने से देहात क्षेत्र के कई विद्यालय में तो कक्षाओं के ताले भी नहीं खुले। फिलहाल सर्दी का मौसम होने से शिक्षकों ने बच्चों को धूप में बिठाकर पढ़ाई कराई। इतना ही नही दूसरे दिन मंगलवार को भी स्कूल, काॅलेजों में यही स्थिती देखने को मिली।
वैश्विक महामारी कोरोना के वेरिएंट ओमिक्रोन को लेकर विद्यालयों को बंद कर दिया गया था। हालांकि काफी दिन बाद खुले विद्यालयों को बंद कर दिए जाने से इसका कुछ लोगों ने विरोध भी किया था। शिक्षण संस्थानों ने भी स्थानीय प्रशासन से लेकर शासन तक स्कूल खोलने की मांग उठाई। महामारी का संक्रमण कम हो जाने से शासन ने शैक्षिक संस्थानों को खोलने का निर्णय लिया। इसी के तहत सोमवार को सुबह से ही विद्यालयों के दरवाजे खुल गए। काफी दिनों से इंतजार रहे विद्यार्थी भी पढ़ने के लिए स्कूल पहुंचे। इससे स्कूल व कालेजों में रौनक लौट आई। फिलहाल कक्षा नौ से बारह तक व डिग्री कालेजों को ही खोला गया है। विद्यालय खुलने से विद्यार्थी भी उत्साहित दिखे, लेकिन मंगलवार को दूसरे दिन भी स्कूल, काॅलेजों में छात्र छात्राओं को उपस्थिती कम ही नजर आई, इसके कारण शैक्षिक कार्य सुचारु रूप से नहीं हो सका। कम उपस्थिति के चलते शुरू नहीं हो सका शैक्षिक कार्य
दूसरे दिन भी काफी दिनों के बाद स्कूल खुलने पर पहुंचे विद्यार्थी अपने साथियों से मिलते दिखे। कक्षाओं में उपस्थिति कम दिखी मगर उम्मीद बढ़ गई कि अब पढ़ाई पटरी पर लौटेगी और परीक्षा की बेहतर तैयारी भी हो सकेगी। शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी मौजूद रहे। उपस्थिति कम होने से कोविड के नियम समझाने की ज्यादा जरूरत महसूस नहीं हुई। पढ़ाई-लिखाई के बारे में शिक्षकों ने समझाया। शिक्षकों ने अन्य विद्यार्थियों को भी स्कूल लाने के विद्यार्थियों को प्रेरित किया।
दूसरे दिन भी धूप में बैठ कर हुई पढ़ाई
इंटर काॅलेज व डिग्री कालेजों में पहुंचे विद्यार्थियों में से अधिकतर ने कार्यालय संबंधी कार्य पूरा किया। वहीं शिक्षकों से पढ़ाई करने के बारे में जानकारी हासिल करते रहे। शिक्षकों ने भी सर्दी के चलते बच्चों को धूप में बिठाकर उन्हें विषय संबंधी जानकारी दी। वहीं बच्चों को घर पर पढ़ाई. लिखाई का कार्य सुचारु रखने के लिए बताया। बच्चों ने पाठ्य सामग्री संबंधी समस्याओं का निराकरण शिक्षकों से कराया।

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