Modinagar । एक दौर था, कि जब विधायकी और सांसद पद पर चुनाव लड़ने वाले नेता अपने क्षेत्रों में जनसंपर्क करने के लिए पहुंचते थे तो वहां पर लोगों की भीड़ जमा हो जाती थी। लोग अपने मनपसंद प्रत्याशी का स्वागत करते थे। कोई दूध पिलाता था तो कोई चाय ओर समोसे खिलाकर अपनापन जताता था। कुछ लोग कहीं से फूल या माला की व्यवस्था कर लेते तो बहुत ही सम्मान के साथ पहनाते थे लेकिन अब दौर बदल गया है। कुछ प्रत्याशी तो लोगों से खुद को माला पहनाने के लिए इतने लालायित रहते हैं कि खुद 50 से 100 मालाएं साथ लेकर चलते हैं। पहले होने वाले चुनाव के बारे में बात करने पर मोदीनगर की सुचेतापुरी काॅलोनी निवासी दिनेश बताते है कि पहले तो लोग वोट मांगने जाते थे तो लोग वोट बाद में देते थे, पहले मुट्ठी में रुपये थमा देते थे। यही नहीं, कुछ लोगों को आपस में चंदा करके शाम को रुपये देते थे। चुनाव का पूरा खर्चा देते थे। बाजारों में चादर बिछाकर चंदा करते थे। ग्रामीण इलाकों में तब माला नहीं पहुंचती थी। गांवों में दूध पीने को मिलता था। पहले कार्यकर्ता दिल से जुड़ते थे और रुपये नहीं लेते थे। उन्होंने बताया कि पहले जब भी जनप्रतिनिधि चुनाव लड़ते थे तो घर से रुपये नहीं लगाना पड़ता था। लोग वोट केवल प्रत्याशी की गुडविल देखकर करते थे। अब शहरों में यही हो रहा है। अभी भी ग्रामीण इलाकों में जिन प्रत्याशियों का संबंध सही है, उनके लिए लोग स्वागत सत्कार की पूरी तैयारियां करते हैं।