मोदीनगर। विधान सभा मोदीनगर चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की राह इस बार आसान नही है। विधान सभा क्षेत्र के प्रत्याशी को भीतर घातियों का सामना भी करना पड़ रहा है।
ऐसे में हालही में सबसे सेफ माने जाने वाली मोदीनगर विधान सभा सीट पर संकट के बादल छाते दिखाई दे रहे है। यह कहना जरा भी गलत न होगा कि भीतर घातियों से बचते हुऐ चुनावी नैया को पार लगाना इस सीट के प्रत्याशी के लिये खासा मशक्कत भरा होगा।
मोदीनगर विधान सभा सीट की बात करे तो भाजपा ने यंहा डाॅ0 मंजू शिवाच को पुनः अपना प्रत्याशी बनाकर विश्वास जताया है। 2017 के विधान सभा चुनावों में डाॅ0 मंजू शिवाच करीब 66 हजार से भी अधिक मतों से विजयी हुई थी। परंतु इस बार रालोद ने उनके लिए जंहा मुश्किल खड़ी कर दी है, वही भाजपा प्रत्याशी खुद भीतरघात का शिकार होती नजर आ रही है। भाजपा के कई ऐसे दावेदार जो टिकट न मिलने से नाराज नजर आ रहे है, वह प्रत्याशी की राह को आसान नही बल्कि मुश्किल करने में लगे है। ऐसे कई दावेदार नाराजगी के चलते जंहा पार्टी के वरिष्ट नेताओं से नाराजगी तो जाहिर करतें ही चले आ रहे है, वही वह मतदान के अंतिम दिनों में भी क्षेत्र में जाकर प्रचार नही बल्कि दुष्प्रचार करने में लगे है। सूत्रों का तो यंहा तक कहना है कि दो तीन दावेदारों ने तो प्रत्याशी को हराने का ठेका ही ले लिया है।
हालाकि इस बार चुनाव कुछ अलग एंगल से रोचक माना जा रहा है। दरसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की युवाओं को राजनीति में आगे लाने की मुहिम के तहत इस सीट पर बदलाब के संकेत मिल रहे थे। करीब आधा दर्जन ऐसे चेहरे यंहा दावेदारी कर रहे थे, जो प्रधानमंत्री के साचे में फिट बैठते थे, मगर इन दावेदारों की उम्मीदों को उस समय झटका लगा, जब शीर्ष नेतृत्व ने पुनः विधायक डाॅ0 मंजू शिवाच पर ही विश्वास जमाते हुये उन्हें टिकट थमा दिया, ऐसे में दावेदारी करने वालों में असंतोष की भावना घर करती दिखाई दी। अन्य पार्टीयों की बात करे तो सपा रालोद गठबंधन के पं0 सुदेश शर्मा, बसपा प्रत्याशी पूनम गर्ग व आम आदमी से पं0 हरेन्द्र शर्मा, कांग्रेेस से नीरज प्रजापति इस सीट पर जीत की ताल ठोक रहे है। चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में अब चुनाव रोचक हो गया है। इस विधान सभा सीट पर कई ऐसे चेहरे थे, जिनका वरिष्टम सूची में नाम पहले था, मगर सूची को नजर अंदाज करते हुये टिकट पुनः डाॅ0 मंजू शिवाच को थमा दिया। टिकट ना मिलने से कई दावेदारों के मन में इस बात का मलाल जरूर है कि उनको टिकट न देकर संगठन ने अनदेखा किया है। हालही के चुनाव प्रचार व मिल रहे समर्थन पर अगर नजर डाले तो अपने ही हुए बेगाने वाली कहावत भाजपा में नजर आ रही है। ऐसे लोग जो टिकट न मिलने से खफा नजर आ रहे है सूत्रों से मिली जानकारी को अगर सच माने तो वह उनकी सफलता की राह में कांटे बिछाने में कोई कोर कसर बाकी नही छोड़ रहे है। जिससे संभावना व्यक्त की जा रही है कि डाॅ0 मंजू शिवाच के लिये जीत की राह आसान नही है।
Disha Bhoomi
