लोगों में संस्कृति को जानने के लिए आवश्यक संस्कृत को सीखने की लालसा किस प्रकार घर कर गई है वह दो दिन में हुए 500 लोगों के पंजीकरण की स्थिति बता रही है । 1 सितंबर से 15 सितंबर के बीच मध्याह्न और शाम में निरंतर दो कक्षाओं का संचालन संस्कृतभारती गाजियाबाद की ओर से किया जा रहा है ।
इन कक्षाओं के उद्घाटन कार्यक्रम में मंगलाचरण से श्रीगणेश किया गया। सरस्वतीवंदना, ध्येयमंत्र, अतिथि परिचय आदि के बाद दोनों कक्षाओं में नरेन्द्र भागीरथी विभाग संगठन मंत्री संस्कृत भारती गाजियाबाद द्वारा प्रास्ताविक एवं संस्कृतभारती का परिचय कराया गया। उन्होंने बताया कि 1981 से प्रारंभ होकर संस्कृतभारती आज विश्व के 39 देशों में कार्यरत है। जिनका मुख्य आधार संस्कृत संभाषण वर्ग ही है। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए दोनों कक्षाओं के मुख्यातिथियों क्रमश: अंशुलमहोदय और प्रतिभापांडे महोदया ने सर्वप्रथम अपने वक्तव्य में संस्कृत की विशेषताओं और हमारे जीवन के साथ संस्कृत के गूढ़ संबंध को बताया। अंशुल जी ने बताया कि संस्कृतभारती द्वारा गत सप्ताह को संस्कृत सप्ताह के रूप में विश्वभर में मनाया गया है और रक्षाबंधन के दिन को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया गया। जो भारत सरकार द्वारा पूर्व में घोषित है।
प्रतिभा पांडे जी ने एक कीट की लघु कथा के द्वारा छात्रों को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि यहां बिना वेतन के निस्वार्थ भाव से काम करने वाले शिक्षक, कार्यकर्ता निरंतर कैसे लोगों को बोलना सिखाते हैं, संस्कृत का प्रचार-प्रसार करने वाले ऐसे संगठन संस्कृतभारती के विषय में बताया गया । अंत में संस्कृतभारती गाजियाबाद के जिला संयोजक गोपाल कौशिक जी द्वारा सभी का धन्यवाद करते हुए प्रेरणादायी वचनों से कक्षाओं के उद्घाटन सत्र संपन्न हुए । कक्षाओं में शिक्षकों के रूप में मनेन्द्र आर्य , रुद्रांश व रुद्रांशी रहेंगे। उद्घाटन कार्यक्रम में संस्कृतभारती के जिलासम्पर्कप्रमुख उदयजी, जिलाप्रचारप्रमुख मनीष मिश्रा , जिलाशिक्षणप्रमुख शशिकांत, साप्ताहिककक्षा प्रमुख सचिन निराला ,सजग, प्रमिलाजी आदि उपस्थित रहें।