• किसान प्रतिनिधियों ने समिति के मुख्य गेट बंद होने पर किया हंगामा

तिबड़ा रोड स्थित सहकारी गन्ना विकास समिति में चल रही चुनाव प्रक्रिया में पहले ही दिन अव्यस्थाओं का बोलबाला रहा। जिससे गुस्साए किसानों ने हंगामा कर दिया। पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। आरोप लगाया कि समिति के अधिकारियों ने मुख्य गेट बंद कर दिया गया। जिसके चलते किसान नामांकन पत्र दाखिल नहीं कर सके। कुछ किसान तो गेट के बाहर ही धरने पर बैठ गए।

उनका आरोप था कि अधिकारियों ने मिलीभगत कर गेट बंद किया है। जिससे नामांकन पत्र दाखिल ना हो सके। सांठगांठ वाले प्रत्याशियों को ही बुलाकर नामांकन पत्र दाखिल किए गए हैं। इस दौरान पुलिस व किसानों के बीच जमकर कहासुनी हुई। शांतिव्यवस्था बिगड़ने की आशंका के चलते भारी पुलिस बल समिति के बाहर तैनात किया गया। हालांकि अधिकारियों ने आरोपों को गलत ठहराया है। बृहस्पतिवार को करीब 317 नामांकन पत्र दाखिल हुए हैं। तिबड़ा रोड स्थित सहकारी गन्ना विकास समिति की प्रबंध समिति की चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है। बृहस्पतिवार को डेलीगेट पद पर नामांकन होना था। सुबह से ही यहां पीएसी को तैनात किया गया। दस बजे से दो बजे तक नामांकन पत्रों की बिक्री हुई। इसके बाद पत्रों को दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसको लेकर नौ बूथ बनाए गए थे। सुबह से ही समिति का मुख्य गेट बंद कर रखा था। ऐसे में गेट के बाहर किसानों की भीड़ बढ़ती चली गई। तिबड़़ा रोड पर भी बड़ी संख्या में किसान आ गए। ऐसे में जाम की स्थिति बनने लगी। भयंकर गर्मी में कुछ किसान चक्कर खाकर गिरने लगे। इससे किसानों का गुस्सा फूट गया। किसानों ने आरोप लगाया कि गेट बंद कर अंदर नामांकन प्रक्रिया में धांधली की जा रही है। इसलिए किसानों को इससे दूर रखा जा रहा है। यही वजह रही कि बहुत से किसान ना तो नामांकन पत्र खरीद सके और कई किसान नामांकन पत्र दाखिल कर सके। किसान गुस्सा होकर सड़क पर धरने पर बैठ गए। सूचना पर एसीपी मोदीनगर ज्ञान प्रकाश राय पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और किसानों को समझाने की कोशिश की। किसानों ने पुलिस-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। मामला बढ़ता देख निवाड़ी व भोजपुर से बल बुलाया गया। देर शाम तक किसान समिति गेट पर ही जमा रहे।

गन्ना समिति चुनाव प्रशासन के लिए होता है चुनौती

  • 2018 के बाद अब छह साल बाद गन्ना समिति के चुनाव हो रहे हैं। हर बार चुनाव प्रशासन के लिए चुनौती होता है। वर्ष 2006 में तो डेलीगेट नामांकन प्रक्रिया के दौरान समिति परिसर में गोलियां चली थी। गांव गदाना के अमरजीत सिंह गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। क्षेत्र में गन्ना समिति चुनावों को वर्चस्व के चुनाव की संज्ञा दी जाती है।

किसानों ने बताया लाेकतंत्र का हनन

  • किसानों का कहना था कि इस तरह मुख्य गेट बंद कर किसानों को दूर रखना लोकतंत्र का हनन है। चुनाव में पारदर्शिता नहीं बरती गई। वे अधिकारियों के इस रवैये को लेकर हाईकोर्ट तक जाएंगे। यह तानाशाही है। लोकतंत्र की हत्या है।

अधिकारियों के वर्जन

डेलीगेट के 254 पद पर करीब 317 नामांकन पत्र प्राप्त हुए हैं। चुनाव प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ कराई जा रही है। समिति में किसानों की अधिक भीड़ थी। इसलिए मुख्य गेट बंद किया गया। जिससे केवल वे ही लोग अंदर आ सके, जिन्हें नामांकन पत्र खरीदना व दाखिल करना है।

प्रदीप कुमार, जिला गन्ना अधिकारी, गाजियाबाद

शांतिव्यवस्था को लेकर पुलिस की तरफ से सख्त इंतजाम किये गए। पीएसी के अलावा थानों से भी पुलिस समिति गेट पर तैनात किया गया था।

ज्ञान प्रकाश राय, एसीपी मोदीनगर

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