New Delhi – यूपी विधानसभा चुनाव के अब तक के रुझान बता रहे हैं कि यहां भाजपा दोबारा सरकार बना रही है। योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भाजपा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश, अवध इलाकों में शानदार प्रदर्शन किया है। किसान आंदोलन के बीच भाजपा का प्रदर्शन बता रहा है कि जनता ने सीएम योगी की नीतियों पर मुहर लगाई है। लेकिन किसान आंदोलन के प्रभाव वाली पश्चिम उत्तर प्रदेश की सीटों पर कैसा रहा भाजपा का प्रदर्शन जानने की कोशिश करते हैं।
कृषि कानूनों की वापसी के बाद भाजपा ने किया था अभियान तेज
केंद्र सरकार ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया था। किसान आंदोलन खत्म होने के बाद से भाजपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपना अभियान भी तेज कर दिया था। सीएम योगी आदित्यनाथ पश्चिम यूपी के कुछ जिलों में जन विश्वास रैली के लिए पहुंचे थे। इसके अलावा अमित शाह जैसे दिग्गज नेता ने खुद इस इलाके की कमान संभाल ली थी। पश्चिम यूपी की 73 सीटों पर आंदोलन वापसी के बाद भी किसान फैक्टर नजर आया। हालांकि भाजपा मुकाबले से बाहर कभी नहीं रही।
पश्चिम यूपी के शामली, मुजफ्फरनगर, बाागपत, मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर, हापुड़, हाथरस, बिजनौर और आगरा जैसे कुल 15 जिलों की 73 सीटों में से कई पर भारतीय किसान यूनियन की मजबूत मौजूदगी है। पिछली बार भाजपा ने यहां से 61 सीटें जीतकर पूरे प्रदेश में 312 सीटें हासिल की थीं। इस बार मुकाबला उसके लिए कड़ा था।
पश्चिमी यूपी के छह जिलों का अपडेट
मुजफ्फरनगर जिले की छह सीटों में चार पर भाजपा, दो पर रालोद आगे।
बिजनौर में आठ में से चार सीटों पर भाजपा, चार पर सपा की बढ़त।
मेरठ की सात सीटों में चार सीट पर भाजपा, तीन पर गठबंधन की बढ़त।
शामली में तीन में एक सीट पर भाजपा, दो पर रालोद आगे।
बागपत में तीन में एक सीट पर भाजपा, दो पर रालोद की बढ़त।
सहारनपुर में सात सीटों में तीन पर भाजपा और चार पर सपा आगे।
आगरा की सभी नौ सीटों पर भाजपा को बढ़त।
टिकैत और जयंत के इलाके में कैसा है भाजपा का प्रदर्शन?
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने लंबे समय तक दिल्ली की सीमा पर आंदोलन करते हुए कृषि कानूनों को रद्द करवाने में अहम भूमिका निभाई थी।किसान आंदोलन के दौरान यूपी से जिन दो लोगों की सबसे ज्यादा चर्चा हुई थी, उसमें राकेश टिकैत और आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी शामिल हैं। राकेश टिकैत और जयंत चौधरी, दोनों ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आते हैं। जयंत चौधरी का क्षेत्र बड़ौत है, जबकि टिकैत का क्षेत्र बुढ़ाना है।
बड़ोत से सपा गठबंधन को बढ़त हासिल है। बड़ौत सीट से आरएलडी के जयवीर और भाजपा के कृष्ण पाल मलिक उम्मीदवार हैं। इस सीट से जयवीर आगे चल रहे हैं। दूसरे नंबर पर कृष्ण पाल मलिक हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार आरएलडी उम्मीदवार को 48.95 फीसदी वोट, जबकि भाजपा उम्मीदवार को 43.11 फीसदी वोट हासिल हुए हैं। बसपा उम्मीदवार अंकित तीसरे नंबर पर हैं।
राकेश टिकैत का मुजफ्फरनगर में काफी दबदबा माना जाता है। बुढ़ाना विधानसभा सीट से आरएलडी को बढ़त हासिल है। यहां से आरएलडी के राजपाल सिंह बालियान आगे चल रहे हैं, जबकि दूसरे नंबर पर भाजपा उम्मीदवार उमेश मलिक हैं।
किसान आंदोलन के फैक्टर ने ज्यादा असर नहीं दिखाया
किसान आंदोलन के फैक्टर ने उन्हीं जिलों में भाजपा के खिलाफ असर दिखाया जहां जाटों के अलावा मुस्लिमों की भी पर्याप्त संख्या है। खासतौर पर मेरठ, गाजियाबाद, आगरा और हापुड़ जैसे जिलों में भाजपा को खास नुकसान की उम्मीद पहले भी नहीं थी। इसकी वजह यह है कि इन जिलों में जाट और मुस्लिम बिरादरी की ज्यादा आबादी नहीं है। नुकसान की स्थिति वहां ज्यादा थी, जहां जाट और मुस्लिम मिलकर 30 फीसदी से ज्यादा हैं।
किसान आंदोलन के बाद भी भाजपा की स्थिति पश्चिम यूपी में उतनी कमजोर नहीं थी, जितने दावे किए जा रहे थे। खासतौर पर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, जेवर एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट के जरिए भाजपा ने अपनी पकड़ मजबूत की है। कई जिलों में मुस्लिम बनाम हिंदू की स्थिति देखने को मिलती है, लेकिन यहां समीकरण बिगड़ते नहीं दिखे। इनमें मेरठ और गाजियाबाद की शहरी सीटें शामिल हैं।
कृषि कानूनों की वापसी के बाद भाजपा ने किया था अभियान तेज
केंद्र सरकार ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया था। किसान आंदोलन खत्म होने के बाद से भाजपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपना अभियान भी तेज कर दिया था। सीएम योगी आदित्यनाथ पश्चिम यूपी के कुछ जिलों में जन विश्वास रैली के लिए पहुंचे थे। इसके अलावा अमित शाह जैसे दिग्गज नेता ने खुद इस इलाके की कमान संभाल ली थी। पश्चिम यूपी की 73 सीटों पर आंदोलन वापसी के बाद भी किसान फैक्टर नजर आया। हालांकि भाजपा मुकाबले से बाहर कभी नहीं रही।
पश्चिम यूपी के शामली, मुजफ्फरनगर, बाागपत, मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर, हापुड़, हाथरस, बिजनौर और आगरा जैसे कुल 15 जिलों की 73 सीटों में से कई पर भारतीय किसान यूनियन की मजबूत मौजूदगी है। पिछली बार भाजपा ने यहां से 61 सीटें जीतकर पूरे प्रदेश में 312 सीटें हासिल की थीं। इस बार मुकाबला उसके लिए कड़ा था।
पश्चिमी यूपी के छह जिलों का अपडेट
मुजफ्फरनगर जिले की छह सीटों में चार पर भाजपा, दो पर रालोद आगे।
बिजनौर में आठ में से चार सीटों पर भाजपा, चार पर सपा की बढ़त।
मेरठ की सात सीटों में चार सीट पर भाजपा, तीन पर गठबंधन की बढ़त।
शामली में तीन में एक सीट पर भाजपा, दो पर रालोद आगे।
बागपत में तीन में एक सीट पर भाजपा, दो पर रालोद की बढ़त।
सहारनपुर में सात सीटों में तीन पर भाजपा और चार पर सपा आगे।
आगरा की सभी नौ सीटों पर भाजपा को बढ़त।
टिकैत और जयंत के इलाके में कैसा है भाजपा का प्रदर्शन?
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने लंबे समय तक दिल्ली की सीमा पर आंदोलन करते हुए कृषि कानूनों को रद्द करवाने में अहम भूमिका निभाई थी।किसान आंदोलन के दौरान यूपी से जिन दो लोगों की सबसे ज्यादा चर्चा हुई थी, उसमें राकेश टिकैत और आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी शामिल हैं। राकेश टिकैत और जयंत चौधरी, दोनों ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आते हैं। जयंत चौधरी का क्षेत्र बड़ौत है, जबकि टिकैत का क्षेत्र बुढ़ाना है।
बड़ोत से सपा गठबंधन को बढ़त हासिल है। बड़ौत सीट से आरएलडी के जयवीर और भाजपा के कृष्ण पाल मलिक उम्मीदवार हैं। इस सीट से जयवीर आगे चल रहे हैं। दूसरे नंबर पर कृष्ण पाल मलिक हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार आरएलडी उम्मीदवार को 48.95 फीसदी वोट, जबकि भाजपा उम्मीदवार को 43.11 फीसदी वोट हासिल हुए हैं। बसपा उम्मीदवार अंकित तीसरे नंबर पर हैं।
राकेश टिकैत का मुजफ्फरनगर में काफी दबदबा माना जाता है। बुढ़ाना विधानसभा सीट से आरएलडी को बढ़त हासिल है। यहां से आरएलडी के राजपाल सिंह बालियान आगे चल रहे हैं, जबकि दूसरे नंबर पर भाजपा उम्मीदवार उमेश मलिक हैं।
किसान आंदोलन के फैक्टर ने ज्यादा असर नहीं दिखाया
किसान आंदोलन के फैक्टर ने उन्हीं जिलों में भाजपा के खिलाफ असर दिखाया जहां जाटों के अलावा मुस्लिमों की भी पर्याप्त संख्या है। खासतौर पर मेरठ, गाजियाबाद, आगरा और हापुड़ जैसे जिलों में भाजपा को खास नुकसान की उम्मीद पहले भी नहीं थी। इसकी वजह यह है कि इन जिलों में जाट और मुस्लिम बिरादरी की ज्यादा आबादी नहीं है। नुकसान की स्थिति वहां ज्यादा थी, जहां जाट और मुस्लिम मिलकर 30 फीसदी से ज्यादा हैं।
किसान आंदोलन के बाद भी भाजपा की स्थिति पश्चिम यूपी में उतनी कमजोर नहीं थी, जितने दावे किए जा रहे थे। खासतौर पर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, जेवर एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट के जरिए भाजपा ने अपनी पकड़ मजबूत की है। कई जिलों में मुस्लिम बनाम हिंदू की स्थिति देखने को मिलती है, लेकिन यहां समीकरण बिगड़ते नहीं दिखे। इनमें मेरठ और गाजियाबाद की शहरी सीटें शामिल हैं।