Modinagar। शत्रु संपित्त को लेकर लोगों में डर पैदा हो गया है। प्रदेशभर में शहर से लेकर गांव तक अवैध कब्जे हट रहे हैं। कहीं बाउंड्रीबाल तोड़ी जा रही है तो कहीं आपर्टमेंट जमींदोज हो रहे हैं। आम जनता भी इन कार्रवाहीयों से खुश है, लेकिन हर किसी के मन में एक ही सवाल है। आखिर उन अफसर व कर्मचारियों की इनमें जिम्मेदारी क्यों तय नहीं की जा रही है, जिनकी मिलीभगत से यह कब्जे हुए हैं। जब इन लोगों को कब्जे रोकने के लिए तैनात किया है तो वह निर्माण के समय आंखें क्यों मूंदे रहे।
मोदीनगर तहसील क्षेत्र में ऐसे कई जिम्मेदार हैं जो सालों से एक ही क्षेत्र में जमे हुए हैं। इन्हें एक-एक गज जमीन की जानकारी है, लेकिन कार्रवाही के नाम पर चुप्पी साधे रहे। जनपद पर बैठे उच्च अफसरों को इन कब्जों में शामिल इन जिम्मेदारों की भी जवाबदेही तय करनी चाहिए। जनता भी चाहती है कि बुलडोजर तो चलना चाहिए, लेकिन नींव उनकी भी हिलनी चाहिए, जिनकी मिलीभगत से यह अवैध इमारतें खड़ी हुई हैं।
भरी जेब और हिस्सेदारी का तकादा
चावल का एक दाना ही पतीले का हाल बता देता है। गांव-देहात के विकास कार्यों से जुड़े विभाग में ब्लाक स्तर पर क्या होता है, यह किसी से छिपा नहीं हैं। यहां वसूली व उगाही का खेल आम है। शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनों भू माफियों द्वारा अवैध काॅलोनियां काटी जा रही है, शहर में रैपिड़ रेल का कार्य प्रगति पर होने के कारण यंहा प्रोपर्टी में जंहा तेजी आई है वही अवैध प्रोपर्टी डीलरों की पौह बारह हो रही है। हापुड़ रोड़, निवाडी रोड, फफराना रोड गोविन्दपुरी आदि स्थानों पर दर्जनों की संख्या में अवैध काॅलोनियां काटी जा रही है। ओर इनमें निर्माण कार्य अपनी चरम सीमा पर रहता है, लेकिन अचानक कभी कभी यंहा ऐसा भी देखा गया है कि यहां के निर्माण कार्य पर ब्रेक लग जाता है। लोगों के मन में सवाल खडें हो जाते है कि जब अफसरों पर इससे जुड़े पर्याप्त दस्तावेज नहीं थे, तो फिर कार्रवाई क्यों की गई। ऐसे तो अफसर किसी की भी जमीन पर बुलडोजर चलवाकर छोड़ देंगे। वहीं, अगर दस्तावेज पूरे हैं तो फिर निर्माण कैसे बीच में लटक गया। ऐसे तो विभाग का डर ही खत्म हो जाएगा।
अवर अभियंता साहब के दोनों हाथों में लड्डू
विकास कार्यों पर निगरानी के लिए प्राधिककरण स्तर पर विभागों के अवर अभियंता की तैनाती है, जो निर्माण कार्य देखता है। शासन से भी स्पष्ट निर्देश हैं कि जो अवर अभियंता तैनात हैं, वह लापरवाही ना करें। लेकिन अवैध निर्माण कार्य में लगे अवर अभियंताओं को नया चस्का लगा है। वह दोनों हाथों से लड्डू खा रहे हैं। अवैध निर्माण के कार्याें के देखने के साथ ही वह धन उगाही जमकर कर रहे है। इतना ही नही इंजीनयर साहब ने हर बवैध निर्माण कार्यों का ठेका लिया हुआ है। प्राधिकरण के मुख्यालय से प्राप्त शिकायतों पर वह जो लिखकर दे देते हैं, साहब उसी पर हस्ताक्षर कर देते हैं। हालांकि, अगर किसी दिन किसी शिकायत की पड़ताल सहाब द्वारा स्वंय की जाती है तो अवर अभियंता साहब तो फंसेंगे ही, अवैध काॅलोनी निर्माणकर्ता का बचना मुश्किल होगा। जिसके चले प्राधिकारण कभी कभी अवैध निर्माणों पर कार्रवाही कर वाहवाही लूट लेता है। मुश्किल में तो बेचारा गरीब ही फंसता है।