Modinagar। मौसम का दिन पर दिन बदलता मिजाज और गेहूं कटाई के लिए मजदूर उपलब्ध न होना क्षेत्र के किसानों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है। मजदूर न मिलने से किसान परिवार के साथ स्वयं ही कटाई में लगे हैं।
मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुए क्षेत्र का किसान रात दिन गेहूं की कटाई और निकासी में लगा हुआ है मगर मजदूर की कमी काम में आड़े आ रही हो जो किसान के लिए परेशानी की सबब बनी हुई है। गांव भनैडा के पूर्व प्रधान बुद्ध प्रकाश त्यागी का कहना हैे कि आए दिन बादलों के गडगड़ाने और तेज आंधी की आशंका के चलते किसान जल्दी से जल्दी गेहूं की कटाई करना चाहता हैए मगर मजदूर की भारी किल्लत के चलते स्थिति यह आ गई है कि किसानों को मजदूर की किल्लत के चलते बच्चों की स्कूल से छुट्टी कराकर अपने साथ गेहूं की कटाई और निकासी में लगना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष एक बीघा गेहूं की कटाई के एवज में मजदूर पांच धड़ी यानि पचास किलोग्राम गेहूं दिया जाता है। मगर वर्तमान में उक्त मजदूरी पर मजदूर गेहूं की कटाई को तैयार नहीं है। इसका मुख्य कारण गरीब लोगों सरकार से दो बार मुफ्त का राशन मिलना है। किसान नेता बिट्टू खंजरपुर का कहना है कि आठ से एक हजार रुपये प्रति दिन के हिसाब से भी मजदूर नहीं मिल रहा जिसके कारण गेहूं की कटाई लेट होती जा रही है। किसानों का कहना हैे कि पूर्व के वर्षों में उत्तर प्रदेश और पंजाब में बिहार की लेबर गेहूं कटाई के लिए बड़ी संख्या में आती थी, मगर अब उनको मनरेगा के माध्यम से वहीं स्थानीय स्तर पर काम मिल रहा है। इसीलिए बिहार का मजदूर भी अब उत्तर प्रदेश काफी कम मात्रा में आता है। नंगलाबेर के किसान धर्मपाल ने बताया कि क्षेत्र में गेहूं की कटाई जोरों पर, नहीं मिल रहे मजदूर
किसान परिवार के साथ स्वयं ही लगे हैं कटाई में
मोदीनगर। मौसम का दिन पर दिन बदलता मिजाज और गेहूं कटाई के लिए मजदूर उपलब्ध न होना क्षेत्र के किसानों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है। मजदूर न मिलने से किसान परिवार के साथ स्वयं ही कटाई में लगे हैं।
मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुए क्षेत्र का किसान रात दिन गेहूं की कटाई ओर निकासी में लगा हुआ हैए मगर मजदूर की कमी काम में आड़े आ रही हो जो किसान के लिए परेशानी की सबब बनी हुई है। गांव भनैडा के पूर्व प्रधान बुद्ध प्रकाश त्यागी का कहना हैे कि आए दिन बादलों के गडगड़ाने और तेज आंधी की आशंका के चलते किसान जल्दी से जल्दी गेहूं की कटाई करना चाहता हैए मगर मजदूर की भारी किल्लत के चलते स्थिति यह आ गई है कि किसानों को मजदूर की किल्लत के चलते बच्चों की स्कूल से छुट्टी कराकर अपने साथ गेहूं
की कटाई और निकासी में लगना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष एक बीघा गेहूं की कटाई के एवज में मजदूर पांच धड़ी यानि पचास किलोग्राम गेहूं दिया जाता है। मगर वर्तमान में उक्त मजदूरी पर मजदूर गेहूं की कटाई को तैयार नहीं है। इसका मुख्य कारण गरीब लोगों सरकार से दो बार मुफ्त का राशन मिलना है। किसान नेता बिट्टू खंजरपुर का कहना है कि आठ से एक हजार रुपये प्रति दिन के हिसाब से भी मजदूर नहीं मिल रहा जिसके कारण गेहूं की कटाई लेट होती जा रही है। किसानों का कहना हैे कि पूर्व के वर्षों में उत्तर प्रदेश और पंजाब में बिहार की लेबर गेहूं कटाई के लिए बड़ी संख्या में आती थी, मगर अब उनको मनरेगा के माध्यम से वहीं स्थानीय स्तर पर काम मिल रहा है। इसीलिए बिहार का मजदूर भी अब उत्तर प्रदेश काफी कम मात्रा में आता है। नंगलाबेर के किसान धर्मपाल ने बताया कि गेहूं की कटाई की छोटी मशीन किसानों में काफी लोकप्रिय है। मगर पंजाब और हरियाणा से उक्त मशीने अभी नहीं आई हैं। जिससे गेहूं की कटाई काफी लेट हो रही है, जबकि खराब मौसम की आहट दस्तक दे रही है। की कटाई की छोटी मशीन किसानों में काफी लोकप्रिय है। मगर पंजाब और हरियाणा से उक्त मशीने अभी नहीं आई हैं। जिससे गेहूं की कटाई काफी लेट हो रही है, जबकि खराब मौसम की आहट दस्तक दे रही है।

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