New Delhi रूस के हमले के बाद यूक्रेन में तमाम शहर इंसान और जानवरों की कब्रगाह बन गए। लोग किसी तरह अपनी जान बचाकर भागने में लगे है। जान बचाने की जंग में जहां लोग अपना सामान और अपनों का साथ छोड़कर भाग रहे थे, वहीं एक भारतीय छात्र ने अपने साथ अपने 45 जूनियर साथियों की जान बचाई। यही नहीं वह उनके 11 पालतू जानवरों को भी सुरक्षित लाने में कामयाब रहा।
निप्रॉपेट्रोस स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS के छात्र के छठे ईयर की छात्र कृष्णाशीष घोष बंगाल के हुगली की सेवड़ाफूली के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया किस तरह से अनजान मुल्क रोमानिया की सुसेवा बॉर्डर पर स्थानीय मेयर के तरफ से भारतीय छात्रों को ढेर सारा प्यार मिला। उसने बताया कि यूक्रेन के डैनीप्रो शहर से रोमानिया के बॉर्डर तक पहुंचने में हर भारतीय छात्रों को 15 हजार रुपए प्रत्येक को अपनी जेब से खर्च करने पड़े थे।
जब वे रोमानिया के सीमा पर पहुंचे तो ग्राउंड जीरो पर उनकी मदद करने वाला भारतीय दूतावास के तरफ से कोई नहीं था। उस समय फरिश्ता के रूप में सामने आए रोमानिया के सुसेवा इलाके के मेयर उसने भारतीय छात्रों के खाने-पीने और रहने के बंदोबस्त के अलावा 45 छात्र छात्राओं और उसके साथ 11 बेजुबानो को अपने जेब के पैसे से बस की व्यवस्था करके बुखारेस्ट के लिए रवाना किया।
बुखारेस्ट पहुंचने पर इंडियन एम्बेसी के तरफ से उन्हें रिसीव किया गया और बाकायदा एयर इंडिया की फ्लाइट से उन्हें रवाना करके दिल्ली भेजा गया। दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचकर बंगाल सरकार के नुमाइंदों ने उन्हें रिसीव किया और उन्हें लेकर दिल्ली स्थित बंग भवन ले गए। वहां पर सारे रखरखाव की व्यवस्था बंगाल सरकार ने की, फिर वहां पर डोमेस्टिक फ्लाइट द्वारा बंगाल की सरकार के तरफ से दिल्ली से कोलकाता एयरपोर्ट रवाना कर दिया गया। कोलकाता एयरपोर्ट से वे सीधे बंगाल के हुगली जिले के सेवड़ाफूली स्थित अपने आवास पहुंचे।
यूक्रेन से वापस लौटे छात्र कृष्णाशीष घोष ने बताया कि यूनाइटेड नेशन भारत द्वारा तटस्थ रहने पर आग बबूला थी। डैनिप्रो शहर से रोमानिया के बॉर्डर तक पहुंचने का तकरीबन 12 घंटे के रास्ते को तय करने में भारतीय छात्रों को 60 घंटे लगे। यूक्रेन के डैनिप्रो शहर से रोमानिया सीमा तक पहुंचने में यूक्रेन की सेना द्वारा उनके बसों की बार-बार तलाशी ली गई। तलाशी के नाम पर उनके साथ बुरा बर्ताव भी किया गया। स्थानीय लोगों की सलाह पर यह भारतीय छात्र यूक्रेन की सेना के कहर से बचने के लिए अपने वाहनों में तिरंगे के बदले दूसरे देश के झंडे लगाकर यूक्रेन रोमानिया के बॉर्डर तक पहुंचे।
उसने यह भी बताया कि डैनिप्रो शहर समेत अन्य शहरों में दाखिल रूस की आर्मी ग्राउंड जीरो पर पूरी तरह से कंफ्यूज थी। रूसी आर्मी को बताया गया था कि यूक्रेन की आम जनता उनका स्वागत करेगी, लेकिन जैसे-जैसे रसिया की सेना यूक्रेन में घुसी यूक्रेन के आम लोगों की देशभक्ति की भावना ने सिर चढ़कर बोला और उन्होंने जगह-जगह पर रसिया की सेना का विरोध करना शुरू कर दिया।

 

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