Modinagar रक्षाबंधन का पावन पर्व हमें सीख देता है कि भाई-बहन का स्नेह निस्वार्थ होना चाहिए, लेकिन दोनों को एक-दूसरे के सुख-दुख में हमेशा साथ देना चाहिए। तभी इस रिश्ते की सार्थकता है। इस पावन पर्व को लेकर क्या सोच रखती हैं कुछ बहनें आईयें जानते है उनकी राय…..
रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र स्नेह का त्योहार है। रक्षाबंधन के अवसर पर बहनें जहां भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसके सुखी, संपन्न और दीर्घायु होने की कामना करती हैं, वहीं भाई बहनों को यह वचन देते हैं कि वे हर परिस्थिति में बहन का साथ देंगे। यह बहुत ही पवित्र त्योहार है, जो भाई-बहन के रिश्ते में एक नए उत्साह का संचार करता है। एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका रूचिका बिन्द्रा कहती हैं कि मैं भाई की कलाई पर अपने हाथ से बनाई हुई राखी बांधती हूंॅ।
आजकल देश में स्वाधीनता का अमृत महोत्सव जोरशोर से मनाया जा रहा है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि भाइयों को राखी बांधते समय बहनें उनकी कलाई पर एक धागा राष्ट्रधर्म निभाने और राष्ट्रप्रेम के लिए भी अवश्य बांधें साथ ही भाइयों से यह वचन भी लें कि जिस प्रकार से वे हर स्थिति में और हमेशा आपका साथ देने के लिए तत्पर रहते हैं। ठीक इसी तरह से राष्ट्रधर्म निभाने के लिए भी हमेशा उत्साहित रहेंगे।
यदि हम अपने राष्ट्र से प्रेम नहीं करेंगे तो स्वयं से प्रेम करना कैसे संभव है। इसलिए देश के हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह देशप्रेम से ओतप्रोत रहे। इसका आशय यह भी है कि देश का हर व्यक्ति एक अच्छा नागरिक होने का भी परिचय दे। जिस प्रकार से हम अपने और परिवार के प्रति कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का सही तरह से निर्वाह करते हैैं, ठीक इसी तरह से देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना भी एक सजग नागरिक की पहचान है।
एक सरकारी बैंक में कार्यरत मधुरिमा गर्ग कहती हैं कि रक्षाबंधन का त्योहार हमें यह भी सीख देता है कि इस अवसर पर किसी दिखावे की जरूरत नहीं है, बल्कि हृदय से निस्वार्थ स्नेह करना और भाई-बहन के रिश्ते को हमेशा निभाना ही इस त्योहार की मूलभावना है। रक्षाबंधन के अवसर पर मैं भाइयों की कलाई पर हमेशा देसी राखियां ही बांधती हूंॅ और राखी बांधने के बाद भाइयों से शगुन रूप में केवल एक रुपया ही लेती हूंॅ। मेरी सोच है कि जब मैं अच्छा खासा कमा रही हूंॅ तो भाइयों से अधिक पैसों की उम्मीद क्यूं करू। इस पावन पर्व पर मैं पैसों की बजाय रिश्तों की अहमियत पर ध्यान देती हूं।
आदर्श नगर कॉलोनी निवासी निकिता सक्सैना दिल्ली में एक नीजी कंपनी में कार्यरत हैं उनका मानना है कि मेरा कोई सगा भाई नहीं है, लेकिन मैं बचपन से पड़ोस में रहने वाले मुंहबोले भाई को राखी बांधती आ रही हूंॅ। उसने भी कभी मुझे यह महसूस ही नहीं होने दिया कि मेरा कोई सगा भाई नहीं है। जब तक घर पर रही तब तक तो वह हमेशा मेरे पास राखी बंधवाने आ जाता था, लेकिन जब से मेरी जॉब लगी है और मुझे घर से दूर आना पड़ा है तब से किसी बार राखी-रोचना करवाने के लिए भाई मेरे पास आ जाता है, तो कभी मैं रक्षाबंधन के अवसर पर घर चली जाती हूंॅ। भाई को राखी बांधते हुए 20 वर्ष से अधिक समय हो गया है और कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि भाई की कलाई खाली रही हो। वह हर सुख-दुख में मेरे साथ खड़ा रहता है। मुझे अपने भाई पर गर्व है।
गोविन्दपुरी निवासी शिविका गुप्ता कहती हैं कि मेरा भाई अमेरिका में इंजीनियर है। हम भले ही दूर हैं, लेकिन हमारे दिल आज भी उतने ही करीब हैं, जितने कि साथ रहने पर थे। हर वर्ष के साथ हमारा स्नेह और विश्वास और गहरा हो रहा है। दो-तीन बार रक्षाबंधन के अवसर पर भाई ने अमेरिका से आकर हम सबको सरप्राइज दिया। जब से भाई अमेरिका गया है, रक्षाबंधन के अवसर पर मैं उसके लिए राखी अवश्य भेजती हूंॅ। मुझे लगता है कि जब तक मेरी भेजी हुई राखी भाई अपने हाथ में बांध नहीं लेता, तब तक रक्षाबंधन के क्या मायने हैं।

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