मोदीनगर। विवाह, शादियों की खुशियों में चार चांद गाने वाले बैंडबाजे व डीजे वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लॉकडाउन की भेंट चढ़ गए हैं। बैंडबाजों व डीजे बजाकर अपनी रोटी रोजी कमाने वाले भुखमरी की कगार पर हैं। लॉकडाउन में विवाह शादियों और मांगलिक कार्यक्रम पर लगी रोक के चलते काम चौपट होने पर रोजी रोटी के लिए तरस परिवार रहे हैं। वैश्विक महामारी कोरोना से जहां पूरा विश्व जूझ रहा है, वहीं व्यापार और लघु उद्योगों पर कोरोना का असर पड़ा है। अपनी रोजी रोटी के लिए अपने घरों से दूसरे राज्यों में काम करने वाले श्रमिक व कामगार भी लॉकडाउन में भुखमरी के कगार पर हैं।
लोगों को ये अंदाजा नहीं था, कि देश में ये स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। शादी की तारीख बदलते बदलते लोगों ने केवल दुल्हे व पिता ने ही विवाह की रस्म पूरी कर दुल्हन को लाकर शादी का केवल फर्ज निभाया है। जहां लोगों ने शादी के शुभ मुहूर्त निकलवा कर विवाह मंडप ओर बैंक्वेट हॉल बुक किये हुए थे, वही कोरोना के चलते लॉकडाउन ने सभी के मनसूबों पर पानी फेर दिया। शासन-प्रशासन ने जहां बडे व्यापारियों और लघु उद्योगों को शर्त के अनुसार चलाने की अनुमति दी है, वहीं शादी में विवाह केवल 20-30 लोगों की अनुमति दी है। सीमित संख्या में परिवार व सगे सम्बंधी की संख्या ही पूर्ण नहीं होती है तो बैंडबाजे अब कौन बजवाएगा, क्योंकि बैंडबाजा बजवाने में कम से कम 11 से 21 लोगों के बीच होती है। शासन-प्रशासन के द्वारा अनुमति केवल दिए गए मानक व नियम ओर शर्तों के अनुसार ही होती है। उल्लंघन पर कार्रवाई का प्रावधान होने पर लोग केवल अब बिना बैंडबाजों के ही अपनी शादियां कर रहे हैं।
गुरूद्वारा रोड स्थित जनता बैंड के स्वामी इमरान खान ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते दो वर्ष से लगातार शादी के सीजन में लग रहे लॉकडाउन में सब कारोबार ठप हो गए हैं। सरकार के द्वारा बडे उद्योगों को राहत मिली हैं। शादी के कार्यक्रम में केवल बीस- पच्चीस लोगों की मौजूदगी की ही अनुमति है। तो हमें कौन बुलाएगा, वहीं सरकार के द्वारा धार्मिक कार्यक्रम पर भी रोक के चलते कारोबार ठप हो गया और भुखमरी के कगार पर है। पेट पालने के लिए सामान बेचने की स्थति आ गई, लेकिन कोई खरीदार नहीं है। बैंडबाजों में अपनी कला का रंग दिखाने वाले कारीगर दर ठोकरे खा रहे हैं, लेकिन काम नहीं है। डीजे संचालक नवनीत कुमार कहते है कि कोरोना महामारी में लॉकडाउन के चलते कारोबार ठप होने से मुफलिसी की ओर हैं। डीजे संचालक बिट्टू ने बताया जहां सरकार हर व्यापार और व्यापारी को छूट दे रही है, लेकिन बैंडबाजे और डीजे पर सरकार की कोई मेहरबानी नहीं हुई है। सब को अपना व्यापार चलाने के लिए समय मिला है, लेकिन हमारा काम तो विवाह शादी, धार्मिक व मांगलिक कार्यक्रम पर ही निर्भर है। सरकार द्वारा इनके आयोजन पर रोक लगा दी है, जिससे हमें तो अपना काम चलने की आगे भी कोई उम्मीद नजर ही नहीं आती है। अगर सरकार ने इस वर्ष भी कांवड़ यात्रा में भी रोक लगा दी तो शायद इस बार तो परिवार भूखा मरने के कगार पर है।

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