मासिक धर्म के समय रखें सावधानी, बीमारियों से होगा बचाव—
श्रीमती अंजली उपाध्याय
मोदीनगर। शुक्रवार को पूरी दुनिया में विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर मनाया गया।  ऐसे मौके पर महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की हिदायत दी गई। जिससे वह स्वस्थ रह सकें।
समाज सेविका व  वृन्दांजलि समाज सेवा समिति  की अध्यक्षा श्रीमती अंजली उपाध्याय ने बताया कि विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस की शुरुआत वर्ष 2014 में वाश यूनाइटेड नामक सामाजिक संस्था ने की थी। मई महीने में 28 तारीख को इसलिए चुना था, क्योंकि मासिक धर्म का चक्र 28 दिनों का होता है। इसका उद्देश्य महिलाओं में मासिक धर्म के समय पांच दिनों तक विशेष सावधानी रखना होता है। इसको मनाने के पीछे का उद्देश्य लड़कियों, महिलाओं को पीरियड्स यानी महीने के उन पांच दिनों में स्वच्छता और सुरक्षा के लिए जागरूक करना है। आमतौर पर महिलाओं के मासिक धर्म 28 दिनों के भीतर आते हैं और इसका पीरियड पांच दिनों का होता है। इसी कारण इस खास दिवस को मनाने के लिए पांचवें महीने मई की 28 तारीख चुनी गई।
28 मई का दिन महिला स्वास्थ के प्रति एक संकल्प दिवस के रूप में मनाने का भी है और समाज के द्वारा धारण की गयी चुप्पी को तोड़ने का भी। जब हम लोगो ने हमारे रोजमर्रा के जीवन में ब्रश करने, स्नान करने और साफ कपड़े पहनने जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों को महत्वता दी हैं तो फिर हम क्यों भूल जाते हैं कि अंतरंग स्वच्छता भी महत्वपूर्ण है। हम अभी भी काफी हद तक नहीं जानते है, कि महिलाएं पीरियड्स के दिनों के दौरान खराब स्त्री स्वच्छता से योनि में जलन हो सकती है। मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) और यहां तक कि गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर भी हो सकता है या होने की सम्भावनाये बढ़ सकती है। श्रीमती अंजली उपाध्याय ने बताया कि बदलते सामाजिक परिवेश में जहां लड़कियां बाहर निकल रही हैं, कभी पढ़ने के लिए तो कभी नौकरी के लिए, और समाज एवं देश तरक्की में अपनी भागीदारी निभा रही है, तो ऐसे में अगर वो मासिक धर्म को लेकर सकुचायी रहेंगी, तो वक्त के साथ चल कैसे पाएंगी। लेकिन आज भी देश के कई परिवारों में लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान परिवार से अलग थलग कर दिया जाता है, मंदिर जाने या पूजा करने की मनाही होती है, रसोई में प्रवेश वर्जित होता है। यहां तक कि उनका बिस्तर अलग कर दिया जाता है और परिवार के किसी भी पुरुष सदस्य से इस विषय में बातचीत न करने की हिदायत दी जाती है। और यह सब होने का मुख्य कारण इस विषय पर खुल कर बात नहीं करना है।
उन्होंने कहा कि हमें ये कभी नहीं भूलना चाहिये की हमारा समाज स्त्री और पुरुष नामक दो मजबूत व्यक्तित्वों से बना है। और दोनों ही वर्ग में समानता और मनुष्यता कायम करने की जिम्मेदारी स्त्री और पुरुष दोनों की है। मासिक धर्म से जुड़ी रूढ़ियों को पूरी तरह से समाप्त करने का सपना भी तभी साकार किया जा सकता है जब हर मनुष्य इस समस्या को जड़ से मिटाने की जिम्मेदारी ले और महिला पीड़ा के इन पलो को एक भावनात्मक स्पर्शता के साथ आत्मनिर्भरता से जोड़े। गांवों और छोटे शहरों में बहुत सारी महिलाएं पीरियड्स में कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। इस कपड़े का दुबारा इस्तेमाल करने के लिए इन्हें धोने के बाद छिपाकर सुखाने के चक्कर में खुली हवा या धूप नहीं लग पाता। ऐसे में इसके इस्तेमाल से गंभीर संक्रमण हो सकता है। पीरियड के दौरान कपड़े की जगह पैड का इस्तेमाल करना सुरक्षात्मक होता है। लंबे समय तक एक ही पैड को लगाने से पसीने के कारण पैड नम रहता है। देर तक ऐसा होने के कारण वेजाइना में संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए 4.5 घंटे में महिलाएं अपना पैड बदल दें, तो संक्रमण का खतरा नहीं रहता।  मासिक धर्म स्वच्छता में एक महत्वपूर्ण कदम सेनेटरी नैपकिन का ठीक से फेकना भी है। हमेशा सुनिश्चित करें कि आप उन्हें फ्लश न करें क्योंकि वे सीवेज पाइप और नालियों को रोक सकते हैं। इसके अलावा हानिकारक बैक्टीरिया के प्रसार से बचने के लिए हमेशा उन्हें ठीक से लपेटें और उन्हें सिर्फ डस्टबिन में ही फेके। इसके बाद अपने हाथों को साफ करना न भूलें। सैनिटरी पैड बदलने से पहले और बाद में अपने हाथों को साबुन या लिकुइड सोप से अच्छे से धोएं। सुनिश्चित करें कि आपके जननांग क्षेत्र को छूने या धोने के दौरान आपके हाथ साफ हैं। यदि आप यात्रा कर रहे हैंए या चलते.फिरते हैंए तो अपने हाथों को साफ करने के लिए एक अच्छा हाथ सैनिटाइजर भी साथ रखे।
पीरियड के दौरान महिलाओं को अपने संवेदनशील अंगों की सफाई पर ध्यान देना चाहिए। पीरियड्स के दौरान सफाई ज्यादा अहम हो जाती है। ब्लीडिंग के कारण अंगों में लगे खून को साफ करना चाहिए। इससे दुर्गंध भी नहीं पैदा होगी। शरीर के संवेदनशील अंगों में भी गुड बैक्टीरिया और बैड बैक्टीरिया होते हैं। अच्छे बैक्टीरिया आपको छोटे.मोटे संक्रमण से स्वतरू बचा लेते हैं। यौनांगों में बैड बैक्टीरिया नष्ट करने की भी क्षमता होती है। ऐसे में साबुन की जगह केवल गुनगुने पानी से सफाई ही काफी होती है।  पीरियड्स में ज्यादा बहाव के दौरान बार-बार पैड बदलने के झंझट से बचने के लिए कुछ महिलाएं दो पैड का इस्तेमाल करती हैंए जो गलत तरीका है। एक पैड की सोखने की क्षमता जितनी है, उतना ही सोखेगा। दो पैड एक साथ लगाने से संवेदनशील अंग के पास गर्मी बढ़ेगीए बैक्टीरिया ज्यादा पनपेंगे और दुर्गंध भी देंगे। दो पैड से असुविधा भी महसूस हो सकती है। इसलिये हमेशा ज्यादा सोखने वाले सेनेटरी पैड का प्रयोग करे। श्रीमती अंजली उपाध्याय ने कहा कि पीरियड्स के दिनों में महिलाओं को अपने बैग में हमेशा एक्स्ट्रा सेनेटरी नैपकिन, टिश्यू पेपर, हैंड सैनिटाइजर, एंटीसेप्टिक दवा वगैरह रखने की सलाह दी जाती है। क्योंकि स्कूल, कॉलेज, कार्यस्थल या कहीं भी बाहर निकलें तो किसी भी वक्त इनकी जरुरत पड़ सकती है।

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