संस्कृत भारती मोदीनगर के द्वारा मातृदिवस के उपलक्ष्य में एक गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें उपस्थित कार्यकर्ताओं के द्वारा “मातृशक्ति के बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है” विषय पर विचार प्रस्तुत किए गए ।

‘न मातु: परदेवतम्’ इत्युक्ते माता से बढ़कर कोई देवता नहीं है । यह सूक्ति तो संपूर्ण विश्व में प्रख्यात ही है । और हमारे ग्रंथों में उद्धृत ऐसे श्लोक माता की महिमा को बहुत सुंदर प्रकार से इंगित करते हैं ।
“नास्ति मातृसमा छाया,
नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राणं,
नास्ति मातृसमा प्रिया ।”
माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं , कोई प्रिय नहीं। माता के समान इस विश्व में कोई जीवनदाता नहीं ।
संस्कृत सप्ताह, पत्राचार के लिए छात्र संग्रह और वाल्मीकि जयंती समारोह का आचरण सभी जगह होना चाहिए इन सभी बातों पर बल देते हुए 22 मई को होने वाली आगामी प्रांत समीक्षा गोष्ठी के संदर्भ में सभी ने अपने विचार व्यक्त किए । और गोष्ठी में उपस्थित संस्कृत भारती मोदीनगर के संयोजक श्रीमान गोपाल जी के द्वारा जून मास में आयोजित होने वाले आवासीय वर्ग के संदर्भ में विचार विमर्श हुआ ।
कार्यकर्ताओं को दिए जाने वाले दायित्वों में नगर संयोजक, ग्राम संयोजक के साथ-साथ बस्ती संयोजक भी बनाए जाएंगे ।
गोष्ठी में उपस्थित उदयचंद्रझा द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई साथ ही शशिकांत, नरेंद्र,शालिनी और निधि के द्वारा आधुनिक युग में तकनीकी ज्ञान की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए संस्कृत भारती द्वारा तकनीकी शिक्षण के माध्यम से लोगों में संस्कृत के प्रति जागरूकता और रुचि बढ़ाने के संदर्भ में विचार प्रस्तुत किए गए ।

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