Interesting Facts: रोजमर्रा की आम बोलचाल में लोग कई बार मुहावरे और जुमलों का इस्तेमाल करते हैं. बहुत से मुहावरे हैं जो हमारे समाज में काफी प्रचलित हैं, ऐसे में कभी न कभी आपने ‘रत्ती भर’ शब्द जरूर सुना होगा. वैसे इसका अर्थ छोटा-सा या थोड़ा-सा से होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रत्ती सिर्फ एक शब्द ही नहीं, बल्कि एक पौधा भी होता है. जी हां, और इस पौधे में पत्ते और फल दोनों उगते हैं. इस पौधे को आमतौर पर गूंजा के नाम से जाना जाता है. आमतौर पर ये पौधा जंगल से लेकर पहाड़ी इलाकों में आसानी से उग सकता है. आइए समझते हैं कि इस पौधे और मुहावरे का आपस में क्या कनेक्शन है.

रत्ती है एक एशियाई पौधा 

इस पौधे को गुंजा भी कहा जाता है. रत्ती के पौधे में खास तरह के बीज होते हैं, जिनके बाहर मटर की तरह खोल होता है. खोल के अंदर काले और लाल रंग के छोटे-छोटे दाने होते हैं, जिन्हें रत्ती के बीज कहते हैं. रत्ती के बीज पक जाने के बाद हवा की वजह से पेड़ से टूट कर जमीन पर गिरने लगते हैं. यह बीज पहाड़ी इलाकों में देखने को मिलते हैं.

रत्ती के बीज से तौला जाता था सोना- चांदी

प्राचीन काल में वजन तोलने के लिए कोई खास तकनीक विकसित नहीं हुई थी. ऐसे में, उस समय रत्ती के बीजों का इस्तेमाल सोने और चांदी को तौलने या मापने के लिये किया जाता था. तब जितने रत्ती के बीज में सोने या चांदी को तौला जाता था, उसे पांच रत्ती सोना या नौ रत्ती चांदी जैसे नाम दे दिए जाते थे.वो एक ऐसा दौर था जब स्थानीय सुनारों के पास रत्ती के ही बीज हुआ करते थे, जिसका इस्तेमाल वह ज़ेवरों को मापने के लिए करते थे. 

दवाओं के काम भी आते है रत्ती के पत्ते 

एक तरफ बीजों का इस्तेमाल रत्नों को मापने में किया जाता था तो दूसरी तरफ रत्ती के पत्तो का इस्तेमाल दवाई के लिए भी होता है. रत्ती के बीजों को चबाने से मुंह में हुए छालों से राहत मिलती है.दरअसल, रत्ती के पौधे की जड़ों में औषधिय पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल दवा बनाने में होता है. 

रत्ती के बीजों का नहीं बढ़ता वज़न 

रत्ती के बीज ऐसे बीज होते हैं, जिनका वजन बढ़ता नहीं है. अगर आप इन बीजों को पानी में या धूप में भी रखेंगे तो तब भी इनका वज़न नहीं बढ़ेगा. यहां तक कि रत्ती के बीज को अगर आप 10 साल बाद भी तोल कर देखेंगे, तो इनका वजन पहले जितना ही रहेगा. हालांकि, इनका वजन बहुत ही कम होता है. शायद यही वजह है कि पुराने समय में लोगों ने इस बीज के ऊपर रत्ती भर का मुहावरा बना दिया, जिसका इस्तेमाल आज तक किया जा रहा  है.

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